चंद्रमा को श्राप किसने दिया था और मुक्ति कैसे मिली थी? जानिए

कहते हैं कि संकट की इस स्थिति में भगवान विष्णु ने मध्यस्थता की. विष्णु के हस्तक्षेप से ही दक्ष का गुस्सा कम हुआ जिसके बाद उन्होंने चंद्रमा को इस शर्त पर फिर से चमकने का वरदान दिया कि चांद का प्रकाश कृष्ण पक्ष में क्षीण होता जाएगा. अमावस्या पर चांद का प्रकाश पूरी तरह गायब हो जाएगा लेकिन शुक्ल पक्ष में चंद्रमा का उद्धार होगा और पूर्णमासी को चंद्रमा का तेज पूर्ण रूप में दिखेगा.

आसमान पर चमकता चांद सनातन काल से ही इंसानों को आकर्षित करता रहा है. कहते हैं सभी 16 कलाओं में निपुण चांद का रंग कभी दूध की तरह झक सफेद और दागमुक्त था. फिर उस पर लगे दाग का रहस्य क्या है.

कभी पूरी तरह श्वेत दिखने वाला चांद रूप सृष्टि के सबसे अनुपम सौंदर्य का प्रतीक था पर फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने जिसने सफेद चांद के दामन पर दाग लगा दिया. आखिर चमकते चांद पर कैसे लगा कलंक का दाग.

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