गोबर की ईंट (गोक्रीट) कैसे बनाई जाती है ? जानिए आप भी

सूखे गोबर से बने ईंटो से तैयार घर में न ही आग लगेगा न ही 80 – 90 साल तक यह ईंट गलेगा |

सूखे गोबर में आग नहीं लगेगा यह सुनकर थोड़ा हैरानी हो रही है पर लैब जांच में यह साबित किया जा चुका है कि 350 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी इन ईंटो में आग नहीं लगेगा |

गोबर की

ईंट

बनाने में उपयोगी पदार्थ –

ईंटों

में 80 फ़ीसदी गोबर 20 फीसद चुना, मिट्टी, ग्वार नींबू तथा अन्य पदार्थ मिलाकर बनाया गया है |

यह

ईंट वैज्ञानिक प्रविधि से तैयार किया जा रहा है |

प्रयोगशाला की सभी जांच प्रक्रिया में सफलता प्राप्त –

इस ईंट को बनाने में किसी भी प्रकार की भट्टी तथा पानी की आवश्यकता नहीं है इस प्रकार के ईंटों को तैयार करने में 10 से 12 दिनों का समय लगता है |

सोनीपत (हरियाणा) स्थित माइक्रो इंजीनियरिंग एंड टेस्टिंग लैबोरेट्री से कराई गई जाँच इस ईंट के पक्ष में रहा |

गोबर (गोक्रीट) से तैयार ईंट की ताकत 11 MPA (मेगा पास्कल) है, यह ईंट 80 से 90 सालों तक खराब नहीं होती है | कच्चे घरों की ताकत औसतन 0.5 MPA मेगा पास्कल होती है जबकि लाल ईंट की ताकत 14 MPA (मेगापास्कल) होती है |

गोबर से तैयार ईंट लाल ईंट के मुकाबले न तो जल्दी गर्म होता है और न ही जल्दी ठंडा होता है जिस कारण इस प्रकार के घरों में बिजली की खपत काफी कम होती है |

मानव जीवन में गोधन को उपयोगी बनाना तथा हरित भवनों का निर्माण करना –

नो लोड बेयरिंग – बहुमंजिला इमारत बनाने के लिए पहले ढांचा तैयार होता है फिर ईंट लगाया जाता है जिससे ईंट पर कम भार पड़ता है इस प्रकार के कार्य को नो लोड बेयरिंग कहा जाता है ठीक इसी प्रकार गोबर के ईंट का प्रयोग बहुमंजिली इमारत में किया जा सकता है इसे किसी भी स्तर पर कोई भी परेशानी नहीं होगी पूरे विश्व में हरित भवनों के निर्माण में हैंपफ्रीट

(भांग का ईट)

का उपयोग होता है इसमें भांग का हिस्सा 80 फीसद और शेष 20 फीसद चूना और अन्य पदार्थ मिलाया जाता है

इसमें भी आग नहीं लगता है

चूना मिलाने से भांग तथा गोबर की प्रकृति बदल जाती है |

गोबर में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है प्रोटीन मजबूती प्रदान करता है और फाइबर किसी वस्तु को जोड़ने के लिए अत्यधिक उपयोगी होता है |

गोबर की ईंट और लाल ईंट का फायदा तथा नुकसान –

गोबर का ईंट पूर्णतः इको फ्रेंडली है जबकि लाल ईंट बनाने के लिए पानी तथा पकाने के लिए कोयला का उपयोग होता है इस कारण कोयला उपयोग से वायु प्रदूषण होता है तथा पानी का दोहन होता है,

गोबर की ईंट

निर्माण में केवल देसी गाय और बैल के गोबर का ही उपयोग किया जाएगा |

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