गधे की चलाकी और कुत्ते की वफादारी (बेहतरीन कहानी)

“एक छोटे से बाज़ार के पास एक छोटा गाँव था। उस छोटे से गाँव में एक कुम्हार रहता था। उसके घर और मिट्टी के बर्तनों की रखवाली करने के लिए उसके पास एक कुत्ता था और उस का भार उठाने के लिए एक गधा था।

वे दोनों ही अपने मालिक के बड़े वफादार थे, और मालिक भी उनसे उतना ही प्यार करता था जितना वो अपने मालिक से करते थे।

जब भी मालिक आता था, कुत्ता भौंकता था। उसका स्वागत करने के लिए थोड़ा। वह दौड़कर गुरु के पास गया और अपने सामने के पैर उठा कर गुरु के ऊपर रख दिए। गुरु कुत्ते को पालता है और उसे खाने के लिए अच्छा भोजन देता है।

गधा इस दैनिक दिन चर्या को दूर से देखता था। उसे कुत्ते से जलन होने लगी वो सोचता था कि वो मालिक के लिए कितना बोझ उठाता है लेकिन फिर भी मालिक ज्यादा कुत्ते से प्यार करता है।

उसने ईर्ष्या से सोचा, “कुत्ते के लिए एक आसान जीवन क्या है! वह बस घूमता रहता है। वह अजन बियों पर भौंकता है। यह सब काम है फिर भी, उसे प्यार और स्नेह के साथ देखभाल की जा रही है। लेकिन मेरी तरफ देखो! मैं सभी भार उठाता हूं। फिर भी मेरे पास खाने के लिए कड़ी मेहनत और बचा -खुचा खाना है, ये सब गधे को बर्दाश्त नही होता था।

इसलिए गधे ने कुत्ते से उसी तरह व्यवहार करने का फैसला किया, ताकि अपने मालिक से अच्छा इलाज हो सके। वह इधर-उधर घूमता रहा और अजनबियों पर हमला करता रहा। जब गुरु वापस लौटा तो उसने थोड़ा सा विरोध किया, दौड़कर उसके पास आया और अपनी पूँछ हिलाकर उसने अपने सामने के पैरों को उठाना शुरू कर दिया।

गुरु नाराज हो गया। उसने एक लंबी छड़ी ली और भारी वार किया। बेचारा गधा, आखिर में, उस जगह को छोड़ दिया! आखिरकार गधे को उसकी औकात का पता चल ही गया और वो अपने काम मे लग गया।

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