गगनयान क्या है जिसे ISRO द्वारा 2022 में लॉन्च करने का निर्णय किया गया है?

वैसे तो इसरो द्वारा इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की जद्दोजहद काफी समय से चल रही है, लेकिन उस समय भारत ऐसी स्थिति में नहीं था कि वह इस तरह के मानव मिशन को अंजाम दे सकें. दोस्तों भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 2018 के स्वतंत्रता दिवस समारोह के भाषण में लाल किले की प्राचीर से इसरो के अगले मिशन गगनयान को मंजूरी देते हुए इसकी समय सीमा को 2022 तक तय किया और यह भी कहा कि भारत जल्द ही अपने 3 अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजेगा.

गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम है।

प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन के दौरान ‘गगनयान-भारत का पहला मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम’ की घोषणा की थी। इसी संदर्भ में इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. शिवान ने कहा कि इसरो इस कार्य को तय समयावधि में पूरा करने में सक्षम है।

प्रमुख बिंदु

इस कार्यक्रम के साथ भारत मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है कि अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ने मानव अंतरिक्ष यान मिशन शुरू किया है।
इसरो के अनुसार यह अब तक का काफी महत्त्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम है, क्योंकि इससे देश के अंदर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा मिलेगा।
यह देश के युवाओं को भी बड़ी चुनौतियाँ लेने के लिये प्रेरित करेगा और देश की प्रतिष्ठा को बढ़ाने में भी सहयोग करेगा।
इसरो के अध्यक्ष ने चन्द्रयान-2 के लॉन्च के विषय में कहा कि अब इसे जनवरी 2019 में लॉन्च किया जाएगा।
इसरो का लक्ष्य मार्च, 2019 तक 19 मिशन लॉन्च करना है।
उल्लेखनीय है कि इन मिशनों में डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिये भी 4 उपग्रह लॉन्च करना शामिल है।
इसरो द्वारा प्रस्तुत विवरण

इसरो ने इस कार्यक्रम के लिये आवश्यक पुन: प्रवेश मिशन क्षमता, क्रू एस्केप सिस्टम, क्रू मॉड्यूल कॉन्फ़िगरेशन, तापीय संरक्षण व्यवस्था, मंदन एवं प्रवर्तन व्यवस्था, जीवन रक्षक व्यवस्था की उप-प्रणाली इत्यादि जैसी कुछ महत्त्वपूर्ण तकनीकों का विकास कर लिया है।
इन प्रौद्योगिकियों में से कुछ को अंतरिक्ष कैप्सूल रिकवरी प्रयोग (SRE-2007), क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश प्रयोग (CARE-2014) और पैड एबॉर्ट टेस्ट (2018) के माध्यम से सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया गया है।
ये प्रौद्योगिकियाँ इसरो को 4 साल की छोटी अवधि में कार्यक्रम के उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम बनाएगी।
गगनयान को लॉन्च करने के लिये GSLVMK-3 लॉन्च व्हिकल का उपयोग किया जाएगा, जो इस मिशन के लिये आवश्यक पेलोड क्षमता से परिपूर्ण है।
अंतरिक्ष में मानव भेजने से पहले दो मानव रहित गगनयान मिशन को भेजा जाएगा।
30 महीने के भीतर पहली मानव रहित उड़ान के साथ ही कुल कार्यक्रम के 2022 से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
मिशन का उद्देश्य पाँच से सात वर्षों के लिये अंतरिक्ष में तीन सदस्यों का एक दल भेजना है।
इस अंतरिक्ष यान को 300-400 किलोमीटर की निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit) में रखा जाएगा।
कुल कार्यक्रम की लागत 10,000 करोड़ रुपए से कम होगी।

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