गंगा में अस्थि विसर्जन क्यों करते हैं और क्या यह अंधविश्वास है या विज्ञान? जानिए

केवल गंगा में ही नहीं अपितु कहीं भी आबादी के आसपास की नदियों में अस्थि विसर्जन किया जाता रहा है।

आइए इसके वैज्ञानिक कारण को समझते हैं। भारतीय सनातन परंपरा में शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है। ऐसा माना जाता है, जब इस पंच भौतिक शरीर को अग्नि मे समर्पित कर दिया जाता है, तब पंचमहाभूत (छिति जल पावक गगन समीरा/ पृथ्वी जल वायु अग्नि आकाश) विखंडित होकर अपने-अपने तत्व में समाहित हो जाते हैं, अंत में बचता है बचती है “राख” ।

यदि राख को वैज्ञानिक भाषा में समझें तो “कार्बन” जब कार्बन को बहती नदी में प्रवाहित किया जाता है, तब यह कार्बन नदी की अशुद्धि को आकर्षित कर, अशुद्धि के साथ संलयन या फ्यूजन करके नदी के तल पर बैठ जाता है और नदी का बहता हुआ ऊपरी हिस्सा साफ सुथरा और पीने योग्य रहता है। आजकल वर्तमान में कार्बन युक्त फेस पैक, फेश वास, फेस क्रीम दैनिक उपयोग में एवं कार्बन फिल्टर जो कि पानी की मशीनों में उपयोग में लाए जा रहे हैं इसका बड़ा उदाहरण है।

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