क्रिकेट के इतिहास की सबसे रोचक पारी किसकी रही है? जानिए

27 फरवरी 2011। बेंगलुरु का एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम का मैदान। विश्व कप 2011 का 11वां मुकाबला मेजबान भारत और इंग्लैंड के बीच खेला गया। 2011 के विश्व कप का सबसे रोमांचकारी मैच उस दिन खेला गया। उस दिन स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने अपने नाखून दांतों से चबा दिए।

ग्रुप बी में खेले गए भारत और इंग्लैंड के बीच के इस मुकाबले ने सभी की धड़कनों को रोक दिया था। आखिर क्या हुआ था उस दिन, आइए जानते हैं।

टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस का सिक्का उछाला और सिक्का भारत के पछ में गिरा, धोनी ने सपाट पिच पर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लेने में देर नहीं लगाई। सचिन तेंदुलकर 115 गेंदों में 120 रन की शानदार शतकीय पारी खेली। गौतम गंभीर ने 61 गेंदों में 51 रन और युवराज सिंह 50 गेंदों पर 58 रन बनाए। सचिन, गंभीर और युवराज के रनों के बदलौत भारत ने 338 रनों का बड़ा स्कोर मेहमान टीम के सामने टांग दि

आखिरी ओवर का रोमांच

जवाब में बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी इंग्लैंड टीम के दोनों सलामी बल्लेबाजो स्ट्रॉस और केविन पीटरसन ने अपनी टीम को धमाकेदार शुरुआत दी। दोनों ही बल्लेबाजों ने आते ही भारतीय गेंदबाजों की गेंदों को सीमा रेखा से बाहर भेजना शुरू कर दिया, लेकिन जल्दी ही टीम इंडिया ने मैच में जोरदार वापसी की और मैच के रूख को अपनी ओर मोड़ दिया।

एक ओर इंग्लैंड के विकेटों के गिरने का सिलसिला चल निकला तो दूसरी ओर कप्तान स्ट्रॉस ने अंगद की तरह अपने पैर क्रीज पर जमाए खड़े हो गए। स्ट्रॉस ने अपना शतक पूरा किया और इंग्लैंड को मैच में बनाए रखा।

बेल के साथ मिलकर स्ट्रॉस ने इंग्लैंड के स्कोर को पहले 200 और फिर 250 के पार पहुंचा दिया। दोनों ने रनरेट में भी कोई गिरावट नहीं आने दी और तेज गति से रन पीटते रहे और भारतीय गेंदबाज बेबस नजर आने लगे। शानदार बल्लेबाजी करते हुए स्ट्रॉस ने अपने 150 रन भी पूरे कर लिए और वहां से लगने लगा कि यह मैच इंग्लैंड जीत जाएगा।

मैच ने एक बार फिर पाला बदला, धोनी ने जहीर को 43वें ओवर में आक्रमण पर लगाया और चौथी ही गेंद पर जहीर ने बेल को 69 रन के निजी स्कोर पर पवेलियन की राह दिखा दी। जहीर ने अगली ही गेंद पर इंग्लिश कप्तान स्ट्रॉस को भी निपटा दिया। स्ट्रॉस का विकेट गिरते ही भारतीय खेमे में जोश दोगुना हो गया।

स्ट्रॉस के आउट होने के बाद इंग्लैंड के लगातार विकेट गिरने शुरू हो गए। इंग्लैंड को अब जीत दूर लगने लगी थी और भारत की जीत की उम्मीद और बढ़ गई। भारत के खाते में जाते हुए मैच ने एक बार फिर करवट लिया। इंग्लैंड ने दोबारा हिम्मत दिखाते हुए मैच का पासा ही पलट दिया। अब आखिरी ओवर में इंग्लैंड को जीतने के लिए 14 रनों की दरकार थी।

इंग्लैंड को जीतने के लिए 6 गेंदों पर 14 रन चाहिए थे, तो वहीं भारत को जीतने के लिए दो विकेट। आखिरी ओवर फेंकने का दारोमदार उस गेंदबाज को मिला, जो रन देने के मामले में कंजूस गेंदबाज के नाम से विख्यात था, नाम है मुनाफ पटेल। पटेल की पहली गेंद को स्वान ने दो रनों के लिए खेला।

इंग्लैंड को अब जीतने के लिए पांच गेंदों में 12 रन की दरकार थी। दूसरी गेंद पर स्वान ने सिंगल लेकर छोर बदल लिया। तीसरी गेंद पर शहजाद ने जोरदार बल्ला घुमाया और गेंद को छह रन के लिए सीमा पार कर गई। मैच का रुख कभी भारत तो कभी इंग्लैंड की तरफ घड़ी की पैंडुलम की तरह लटक रहा था।

अगली तीन गेंदों में अब इंग्लैंड को पांच रनों की जरूरत थी। चौथी गेंद शहजाद के पैड पर लगी और दोनों बल्लेबाजों ने दौड़कर एक रन चुरा लिया। स्टेडियम में बैठे दर्शकों की सांसें गेंदबाजी कर रहे मुनाफ पटेल की सांसों से अधिक तेज हो गई थीं।

मैच का रोमांच सातवें आसमान पर पहुंच चुका था। भारत को जीत के लिए दो गेंदों में दो विकेट, तो इंग्लैंड को जीत के लिए दो गेंदों में 4 रन की जरूरत थी। पांचवीं गेंद पर स्वान ने बड़ा शॉट खेलना चाहा, लेकिन गेंद उनके बल्ले के भीतरी किनारे को लेते हुए फील्डर के हाथों में गई, दोनों बल्लेबाजों ने दौड़कर दो रन पूरे कर लिए।

मैच की आखिरी गेंद पर इंग्लैंड को दो रन चाहिए थे। पटेल ने अंतिम गेंद फेंकी और स्वान ने जोरदार शॉट खेला, लेकिन गेंद सीधा फील्डर के हाथों में गई कि इसी बीच दोनों ने दौड़कर एक रन पूरा कर लिया और विश्व कप के इतिहास में मैच को टाई करा लिया।

टीम इंडिया एक समय मैच में मजबूत थी लेकिन अंत में मैच के नतीजे ने जीत की मुस्कुराहट नहीं ला सकी। रोमांच की सारी हदों को पार करते हुए इंडिया और इंग्लैंड के बीच मैच टाई रहा। देश के लिए मुनाफ पटेल और धोनी के लिए मुन्ना ने अब संन्यास ले लिया है।

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