क्या सच में आला-उदल ने पृथ्वीराज चौहान को हराया था? इसके पीछे क्या कहानी है?

जी हां

आल्हा ने अपने भाई उदल की हत्या का बदला लेने के लिए पृथ्वीराज चौहान से युद्ध किया था। जिसमे आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को हराया था और उसे जीवनदान दिया था।

आल्हा मध्यभारत में स्थित ऐतिहासिक बुंदेलखण्ड के सेनापति थे और अपनी वीरता के लिए विख्यात थे। आल्हा के छोटे भाई का नाम ऊदल था और वह भी वीरता में अपने भाई से बढ़कर ही था। जगनेर के राजा जगनिक ने आलह खंड नामक एक काव्य रचा था उसमें इन वीरों की 52 लड़ाइयों की गाथा वर्णित है।

वीर चंद्रवंशी आल्हा

ऊदल ने अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करते हुए ऊदल वीरगति प्राप्त हुए आल्हा को अपने छोटे भाई की वीरगति की खबर सुनकर अपना अपना आपा खो बैठे और पृथ्वीराज चौहान की सेना पर मौत बनकर टूट पड़े आल्हा के सामने जो आया मारा गया 1 घंटे के घनघोर युद्ध की के बाद पृथ्वीराज और आल्हा आमने-सामने थे दोनों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए आल्हा के गुरु गोरखनाथ के कहने पर आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया और बुंदेलखंड के महा योद्धा आल्हा ने नाथ पंथ स्वीकार कर लिया

आल्हा चंदेल राजा परमर्दिदेव (परमल के रूप में भी जाना जाता है) के एक महान सेनापति थे, जिन्होंने 1182 ई० में पृथ्वीराज चौहान से लड़ाई लड़ी, जो आल्हा-खांडबॉल में अमर हो गए।

आल्हा और ऊदल, चंदेल राजा परमल के सेनापति दसराज के पुत्र थे। वे बनाफर वंश के थे, जो कि चंद्रवंशी क्षत्रिय वंश है। मध्य-काल में आल्हा-ऊदल की गाथा राजपूत शौर्य का प्रतीक दर्शाती है।

आल्हा-उदल के माता-पिता को लेकर गाथा में कोई विकल्प नहीं मिलता। दोनों दसराज (जसराज) और दिवला (देवल दे) के पुत्र हैं। कन्नौजी पाठ के अनुसार आल्हा का जन्म दशपुरवा (दशहर पुर, महोबा की सीमा पर एक छोटा- सा गाँव) में हुआ था। आल्हा की जन्म तिथि जेठी दशहरा बताई जाती है। आल्हा से ऊदल लगभग बारह वर्ष छोटा था। पिता की हत्या के बाद उसका जन्म हुआ था।

ग्रियर्सन के अनुसार बनाफरो की पत्नियाँ मूलतः अच्छे परिवारों की थीं। बाद में उन्हें अहीर कहा गया। कदाचित् माहिल ने बैर भाव से यह अफवाह फैला दी हो। महोबा में, विवाह-संबंधों के संदर्भ में बनाफर “ओछी जात के राजपूत” कहे गए हैं।।

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