क्या भारत के पीएम मोदी की तुलना में चीन के राष्ट्रपति Xi Jinping हारे हुए हैं? जानिए

किसी भारतीय से पूछोगे तो वह पीएम मोदी को सपोर्ट करता हुआ नजर आएगा लेकिन आप वैश्विक छवि की बात कर रहे हैं तो मोदी की छवि उतनी स्ट्रांग नहीं है जितनी स्ट्रांग छवि चाइना के राष्ट्रपति की है

हालाकी छवि नेगेटिव है या पॉजिटिव है यह अलग बात है लेकिन वह जो भी करते हैं उससे पूरी दुनिया प्रभावित होती है. उसका कारण है
चाइना का एक शक्तिशाली देश होना
चाइना का दुनिया में नंबर वन पैसे वाली कंट्री होना
उनके किए गए फैसले को उनके देश के लोगों द्वारा सर झुका कर स्वीकार करना
उनके देश की सभी कंपनियों का देश के प्रति और राष्ट्रपति के प्रति वफादार होना
देश के अंदर लागू कड़े नियम और कानून जो देश की तरक्की का सपोर्ट करते हैं हालांकि वह देशवासियों का सपोर्ट करें या ना करें वह दूसरी बात है.
चाइना हथियारों के मामले में अपनी तुलना अमेरिका से करता है .

हालांकि हमारी मीडिया रोजाना रात को 6:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक देश का बहुत गुणगान करती है. चीजों को तोड़ मरोड़ कर पेश करती है और जनता को काफी हद तक बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं जबकि चीजें बहुत ही वैसी नहीं होती है जैसे कि वह बताते हैं

हमारा रोबोट आकाशीय पिंड पर उत्तर भी नहीं पाया था और चाइना का रोबोट मिट्टी लेकर आ रहा है इससे उसका टेक्नॉलॉजी के मामले में कितनी पकड़ है यह पता चलता है वह अपना अलग से सूर्य बना रहा है अंतरिक्ष में उसकी बहुत मजबूत पकड़ है. हालांकि यहां हम अपनी उपस्थिति इतनी मजबूती से दर्ज नहीं करा पाए हैं जितनी मजबूती चाइना की है, हालांकि कोशिश जारी है.

ऐसे ही 100 से ज्यादा छोटी छोटी बातें सामने आ सकती हैं जो यह दिखाती है कि चाइना भारत से कितना मजबूत है राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री मजबूत नहीं होते देश मजबूत होता है.

जो डिसीजन कुछ ही दिनों में सामने आना चाहिए, भारत में उसे आने में सालों लग जाते हैं. यह किसी मजबूत देश की निशानी नहीं, मजबूत लोगों की निशानी नहीं, क्षमता वान लोगों की निशानी नहीं है.

जहां के सत्ताधारी देश हित से ऊपर अपनी पार्टी का हित पहले देखते हैं और ऐसे नियम बनाने से कतराते हैं जो देश हित में हो. ऐसे लोग कैसे मजबूत हो सकते हैं.

ऐसा देश कैसे मजबूत हो सकता है जिस देश के लोग देशहित से पहले अपने धर्म का हित, अपना हित पहले देखते हैं. वह देश कैसे मजबूत हो सकता है उस देश के लोग कैसे मजबूत हो सकते हैं.

किसी देश पर दूसरे देश कितना निर्भर करते हैं इससे उसकी मजबूती का पता चलता है. अगर आप मार्केट हो तो आप मजबूत नहीं मात्र एक बिजनेस हो जिस दिन बिजनेस खत्म, उस दिन आप खत्म

अगर हमारे पाठक खुश होना चाहते हैं तो हम कह देते हैं कि मोदी के आगे जिनपिंग कहीं नहीं ठहरते हैं.

इंटरनेशनल मैगजीन, न्यूज़ चैनल या दूसरी रिसोर्सेज भारत के बारे में क्या लिखते हैं उस से पता चलता है, हम कहां है. रही भारतीय मीडिया की बात तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनकर खुश होने में कोई बुराई नहीं है, आखिर खुशी तो मिल ही रही है और अंत में खुशी ही चाहिए.

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