क्या प्रतिदिन सिर्फ एक समय भोजन करने से कई रोगों से लड़ा जा सकता है?
शरीर के पाचन संस्थान का कार्य देखें तो खाया हुआ अन्न 2.5 घण्टे में आमाशय से आंतों में चला जाता है। इस समय अमाशय खाली हो जाता है। आमाशय की दीवारों से नमक का अम्ल रिसता रहता है जो आमाशय में पड़े भोजन को गला कर प्रथम पाचन प्रारम्भ करता है और आंतों द्वारा पचने के योग्य बनाता है। इस अम्ल के कारण ही भोजन में स्थित अनेक जीवाणुओं को नष्ट हो जाते हैं। जब आमाशय खाली हो जाता है तब यह अम्ल आमाशय में पड़ा रहकर आमाशय की दीवारों में घाव करेगा।
बहुत समय तक भूखे रहने से आमाशय की दीवारों में अम्ल के कारण घाव हो जाते हैं। मनुष्य के शरीर की बनावट के अनुसार आमाशय के खाली हो जाने पर भूख लगना शुरू होती है। रोगों से लड़ने के लिए आवश्यक इम्युनिटी भोजन के द्वारा मिलने वाले विभिन्न पोषक अवयवों द्वारा प्राप्त होती है। अतः पाचन की पूर्ण क्रिया को देखते हुए-
हमारे द्वारा खाये जाने वाले दो समय के भोजन को 4 समय के भोजन में बांट कर 4–4 घण्टे के अंतराल पर खाया जाना चाहिए। दो बार नाश्ता और दो बार लंच/डिनर।
आवश्यक पोषक तत्वों को भोजन में शामिल करना चाहिए।
समय पर भोजन ग्रहण करना चाहिए।
बहुत ज्यादा व्रत या उपवास शरीर को नुकसान पंहुचाते हैं। आमाशय सिकुड़ भी सकता है, भूख खत्म हो सकती है, आंतों की क्रियाविधि मंद पड़ सकती है।
भूख से ज्यादा मात्रा में भोजन करना भी एसिडिटी जैसी समस्याएं उत्पन्न करती है।