क्या पिछला जन्म होता है? क्या पिछले जन्म के कर्मों का फल इस जन्म में मिलता है? जानिए

परमात्मा ने कहा है पिछला जन्म भी होता है अगला भी होगा | हमारे जन्म दर जन्म संस्कार, कर्म, परिचय, स्वभाव, सब बदल जाते हैं | हर जन्म में हमारा रोल ही अलग होता है | एक जन्म दुसरे जन्म से नही मिलता है | दो जन्म में आप एकदम अलग होंगे | आत्मा वोही है लेकिन रोल पद, स्वभाव, संस्कार सब अलग |

आत्मा के टोटल 84 जन्म होते हैं | कर्मो अनुसार ही जन्म हमे मिलते है | अच्छे कर्म है तो अच्छे घर में अच्छे स्थान में जन्म मिलते हैं | कर्म अच्छे नही तो जन्म भी वैसे ही मिलते है |

भाग्य बनता भी हमारा कर्मो से ही है | कर्म न करे तो पानी भी न मिले | इसीलिए हम ये नही कह सकते मेरा भाग्य एसा ही बन गया | इसको हमने खुद बनाया होता है अपने कर्मो से |

लेकिन यंहा परमात्मा कहते है कर्म जो हुए वो हुए | इनको चुक्तु करना है | उसके लिए मुझसे योग लगाना है | तकदीर केवल इश्वर बना सकते है, मनुष्य नहीं | मनुष्य की बनाई हुई तकदीर ने हमे कन्हा लाकर खड़ा कर दिया | अर्थात हम क्या बन गये?

जप, तप, यज्ञ, सब किए लेकिन इश्वर न मिले, न इश्वर का पता चला | बस खोजते रहे | अब ये सब भी एक समय तक ठीक है | हमको ये भी पता नही हम भक्ति वास्तव में इश्वर को पाने के लिए ही करते हैं | लेकिन पा नही सकते क्योंकी परिचय नहीं है | इसीलिए हम उन्हें पुकारते ही रहते है, मन्दिर तीर्थ कन्हा कन्हा जाते है |

इश्वर कहते मैं कोई मन्दिर आदि में नही रहता | मैं तो रहता हूँ परमधाम में | जन्हा सम्पूर्ण शांति है | तुम उस घर को याद करो और मुझे याद करो तो तुम मेरे पास आ जायोगे | वंहा से ही हम जीअत्मा इस धरती पर पार्ट बजाने आई है | हमारा ये घर नही है ये तो हम यंहा अपना किरदार निभा रहे है |

हमारा मूल घर वो परमधाम है जन्हा अति शांति व सुख है | जिसकी कल्पना सन्यासी लोग स्वर्ग से करते हैं | परन्तु वो स्वर्ग तो नही लेकिन वो शांतिधाम है | उनका नाम शिव है, क्योंकी नाम सबका चहिये | यदि नाम ही न हो तो परिचय कैसे दे ! इसीलिए इश्वर का नाम सदा शिव है अर्थात वो सदा ही शिव है | हमारे नाम बदलते रहते है इसीलिए हम सदा नही है, एक जन्म बाद दूसरा नाम, दुसरे बाद तीसरा | लेकिन शिव सदा है |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *