क्या चेतक के अलावा भी महाराणा प्रताप का कोई स्वामिभक्त था?

महाराणा प्रताप के स्वामिभक्त व्यक्ति भी थे और पशु भी. यह सब युही नहि हो सकता. इसमें व्यक्ति विशेष का बहुत योगदान होता है. व्यक्ति विशेष ज़िस पशु कि देखभाल स्वयं करेगा, पशु भी उस व्यक्ति को रिस्पांस देगा. उसी तरह देगा. इसका प्रमाण इतने से ही मिल जायेगा कि अगर आप एक कुत्ते को चार दिन रोटी भी ढाल दोगे तो उसका व्यवहार आपके प्रति बदल जायेगा और वह आपको दखते ही पूँछ हिलाकर स्वागत करेगा. आप डाटेंगे तो आपके पैरों मे गिर पड़ेगा. आपके हाथ पैर चाटेगा और अपनी स्वामिभक्ति प्रदर्शित करेगा. कुत्ता ही नहि बिल्ली, शेर, चिड़िया और अन्य जंगली जानवर भी पालतू बन जाते है. गाय बैल भैंस तो पालतू ही होते है और अपने मालिक को पहचानते है.

अब आते है सीधे प्रश्न पर कि महाराणा प्रताप का चेतक के अलावा भी कोई स्वामिभक्त था तो इसका जवाब है हां और यह था एक हाथी जिसका नाम था रामप्रसाद. यह भी हल्दीघाटी के युद्ध मे महाराणा के साथ शामिल हिया और अकबर के लोगों ने महाराणा के युद्ध से जाने के बाद चेतक के मैदान से दौड़ने के उपरांत अकबर के बहुत सारे हाथियों ने घेरकर इस हाथी रामप्रसाद को बंदी बनाया था. यह विशालकाय जानवर बहुत शक्तिशाली था.

इसकी स्वामिभक्ति इससे प्रमाणित हुयी ज़ब इसने अकबर द्वारा पकड़े जाने और इसे अपने लिए तैयार करने पर प्रयास करने पर भी असफल कर दिया और उसे अपनी सवारी नहि करने दी न उसके लिए अपनी सूंड उठाकर अभिवादन किया. अकबर बादशाह के महावतों द्वारा खाना खिलाने पर भी खाना नहि खाया और भूखा ही मर गया. भूख हड़ताल से मर गया.

मेवाड़ वालों ने इसे शहीद ही माना और पुरा आदर सत्कार दिया. अकबर इस हाथी कि इस तरह की स्वामी भक्ति से बहुत प्रभावित हिया और बोला कि ज़िस राणा के हाथी घोड़े तक मुझको सलाम नहि करते, वह राणा मुझसे कैसे झुकेगा. अतः उसने राणा प्रताप के अकबर कि अधीनता स्वीकार करने के सपने देखना बंद कर दिया.

चेतक पर बैठकर महाराणा प्रताप अकबर के सेनापति राजा मानसिंह पर आक्रमण करए हुए. इस हमले मे महावत मारा गया और मानसिंह कैसे भी बच गया.

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