क्या क्रिकेट की चौथी पारी में रन बनाना इतना कठिन है, कि हम नतमस्तक हो जाते हैं?

2004-05 में ऑस्‍ट्रेलिया की ‘महानतम’ टीम भारत के दौरे पर आई थी। 4 मैचों की सीरीज में 2-0 से पीछे चल रहे भारत के लिए मुंबई में इज्‍जत बचाने का मौका था।

पिच खराब थी और बड़े स्‍कोर की उम्‍मीद बेमानी थी। हुआ भी यही। भारत दो पारियों में 104 और 205 रन ही बना सका। ऑस्‍ट्रेलिया ने पहली पारी में 203 रन बनाए और चौथी पारी में उसे 107 रनों का आसान लक्ष्‍य मिला था।

टेस्‍ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे मजबूत टीमों में से एक भी उस दिन 93 रन पर ढेर हो गई थी। यह बताता है टेस्‍ट क्रिकेट की चौथी पारी में बल्‍लेबाजी कहीं से आसान काम नहीं। टेस्‍ट क्रिकेट महज पांच दिन का खेल नहीं, आपके धैर्य की परीक्षा होता है। 141 साल के इतिहास में आज तक किसी टीम ने चौथी पारी में 700 रन का स्‍कोर नहीं छुआ है।

यहां तक कि सिर्फ एक ही बार 500 से ज्‍यादा का स्‍कोर बना है। इंग्‍लैंड ने 1939 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 654/5 बनाकर मैच ड्रॉ कराया था। उसके बाद चौथी पारी का उच्‍चतम स्‍कोर 451 है जो क्रिकेट के एक ऐतिहासिक टेस्‍ट मैच में बना। न्‍यूजीलैंड ने क्राइस्‍टचर्च में इंग्‍लैंड के खिलाफ 550 रनों के लक्ष्‍य का पीछा करते हुए यह स्‍कोर बनाया था।

मेरी नजर में चौथी पारी की सर्वश्रेष्‍ठ व्‍यक्तिगत पारी इसी मैच में खेली गई। क्राइस्‍टचर्च में नाथन एस्‍टल ने टेस्‍ट क्रिकेट का सबसे तेज दोहरा शतक (153 गेंद) लगाया जो रिकार्ड आज तक कोई नहीं तोड़ सका है।

सहवाग दो, गिलक्रिस्‍ट और ब्रेंडन मैकॉलम एक-एक बार इस रिकॉर्ड को तोड़ने के बेहद करीब पहुंचे, मगर तोड़ नहीं पाए। चौथी पारी में भारत का सर्वाधिक स्‍कोर 445 है। 1978 में एडिलेड में 493 रनों के लक्ष्‍य का पीछा करते हुए यह स्‍कोर बना।

अस्‍सी के दशक तक टेस्‍ट मैच के बीच में एक छुट्टी मिलती थी ताकि खिलाड़ी खुद को तरोताजा रख सकें। शुरू में टेस्‍ट मैच चार दिन के होते थे, जो 1973 के बाद से पांच दिन का हो गया।[2] अब लगातार पांच दिन क्रिकेट खेली जाती है और चौथी पारी शुरू होते-होते पिच टूटनी शुरू हो जाती है। किस दरार में गेंद पड़ने से गेंद लाइन, बाउंस बदलेगी इसका अंदाजा लगा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। टेस्‍ट क्रिकेट की चौथी पारी परंपरागत रूप से गेंदबाजों के पक्ष में रही है।

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