क्या क्रिकेटर हमेशा टीम में अपनी जगह बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करता है
ऐसे क्रिकेटर सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं जो सिर्फ अपनी टीम को जीताने के लिए खेलते हैं लेकिन उनके साथ भी चयनकर्ता अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं |
भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक खिलाड़ी ऐसा हुआ है जिसने हमेशा यही सोचा है कि बस टीम को जीताना हैं उस दौरान भले ही 99 रन पर भी छक्का मारना ही क्यों पड़े |मैं बात कर रहा हूँ विस्फोट बल्लेबाज विरेन्द्र सहवाग की |
एक ऐसा बल्लेबाज जिसने अपने समय में विपक्षी टीम के गेंदबाजो मे खौफ पैदा कर दिया था |
यह खिलाड़ी जब तक खेला तब तक निडर होकर खेला, सबको पता था कि जब तक सहवाग क्रीज पर मौजूद हैं तब तक टीम की जीत पक्की हैं |
आज का दौर बदल चुका है, कई दफा खिलाड़ी अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए भी खेलते हैं क्योंकि उन्हें टीम से बाहर होने का डर रहता है |