क्या कोई ऐसा तरीका जिससे किसी इंसान को मोक्ष की प्राप्ति हो?
जिसके द्वारा मनुष्य जन्म जन्म के बंधनों से मुक्ति पाकर मोक्ष की प्राप्ति करता है। वही इस युग मे हरि नाम स्मरण मात्र से ही मुक्ति मिल जाती है। … मनुष्य अपना कर्म करते हुए भी बडी सरलता से मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है।
- मौक्ष के बाद हम पंचतत्व में विलीन हो जाते हैं क्योंकि मोक्ष, मौत का अपभ्रंश रूप है। … मोक्ष के बाद हम god के चरणों में विलीन हो जाते हैं मतलब हम जन्म और मृत्यु से आज़ाद होकर भगवान में एकाकार हो जाते हैं . यही मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है .
- इन चार साधनों के नाम विवेक, वैराग्य, षट्क सम्पत्ति तथा मुमुक्षत्व हैं। मुक्ति वा मोक्ष चाहने वालों को मिथ्याभाषणादि पाप कर्मों को छोड़कर सुख रूप फल को देने वाले सत्यभाषणादि धर्माचरण का सेवन अवश्य करना चाहिये। मनुष्य को अधर्म का भी सर्वथा त्याग कर धर्म का पालन करना चाहिये।
- मोक्ष का अर्थ है सभी प्रकार के सांसारिक बंधनों से मुक्ति। बंधन वे जो मनुष्य को संसार से बांध कर रखते हैं, जो सांसारिक सुखों और सुविधाओ के प्रति आसक्ति पैदा करते हैं । इस में जीवन ‘मैं’ और ‘मेरा’ तक सीमित हो जाता है। … गीता के इस अंतिम अध्याय का नाम है – मोक्ष संन्यास योग।
मुक्ति निम्न चार प्रकार की होती हैं:
- सालोक्य – जीव भगवान के साथ उनके लोक में ही वास करता हैं।
- सामीप्य- जीव भगवान के सन्निध्य में रहते कामनाएं भोगता हैं।
- सारूप्य – जीव भगवान के साम्य (जैसे चतुर्भुज) रूप लिए इच्छाएं अनुभूत करता हैं।
- सायुज्य – भक्त भगवान मे लीन होकर आनंद की अनुभूति करता हैं।