क्या कारण है की चलती हुयी साइकिल नहीं गिरती जबकि खड़ी हुयी साइकिल गिर जाती है?

खड़ी हुई साइकिल इसलिए गिर जाती है क्योंकि साइकिल का गुरुत्व केंद्र उसके सेंटर लाइन से हो कर नहीं गुजरता है बल्कि कुछ दाएं या बाएं गुजरता है जिससे एक असंतुलन कारी उत्पन्न होता है, जो कि साईकल को गिरा देता है।

यदि साईकल का वजन W है तो असंतुलन कारी बल (आघूर्ण) W X होगा। यही बात मोटर सायकिल पर भी लागू होती है।

चलती हुई सायकिल

जब साइकिल गतिमान होती है तब अगले पहिए की गति के कारण एक संतुलन कारी बल उत्पन्न होता है जिसे जायरोस्कोपिक बल कहते हैं जिसके कारण साईकल गिरती नहीं है और इसका संतुलन बना रहता है।

(An advanced model of bicycle dynamics :G Franke, W Suhr and F Riel3 Fachbereich Physik, Universitat Oldenburg, D-2900 Oldenburg, Federal Republic of Germany, 1989 )

(सायकिल गतिकी का एक एडवांस्ड मॉडल: फ्रैंक एवं अन्य , ओल्डेनबेर्ग विश्वविद्यालय , जर्मनी, 1989)

चित्र में सबसे ऊपर पहिये की धुरी को दोनों तरफ सपोर्ट है

बीच में एक तरफ का सपोर्ट हटा लिया गया है, लेकिन इसके बावजूद पहिया गिरता नहीं है बल्कि घूमते ही रहता है ।

सबसे नीचे घूमता हुआ पहिया सीधा रहते हुए एक सपोर्ट के गिर्द घूमता रहता है पर गिरता नहीं है। यह जायरोस्कोपिक बल है।

स्टेबिलिटी रेंज

दोनों पहियों की जड़ता और गति के आधार पर साईकल के स्व संतुलन का एक रेंज होता है

स्रोत : (सायकिल गतिकी का एक एडवांस्ड मॉडल: फ्रैंक एवं अन्य , ओल्डेनबेर्ग विश्वविद्यालय , जर्मनी, 1989)

यहाँ साईकल सवार को निष्क्रिय मान लिया गया है। हकीकत में बिना साईकल सवार के भी गतिमान साईकल उच्च गति में हो तो चलती रह सकती है – जो ऊपर के ग्राफ के बिल्कुल बाएँ भाग से स्पष्ट है।

1949 की फ़िल्म jour de fete में एक पोस्टमैन ऐसी ही सायकिल का अंधाधुंध पीछा करता है और साईकल बिना सवार के मज़े से फर्राटे मार रही है।

यह न्यूनतम गति तकरीबन 5 मीटर /सेकंड या 18 किलोमीटर /घंटा होती है।

जायरोस्कोपिक बल के अतिरिक्त और क्या फैक्टर ?

जायरोस्कोपिक बल के अतिरिक्त ट्रेल कोण भी एक महत्त्वपूर्ण फैक्टर होता है जिसके कारण साईकल संतुलित रहती है। चित्र देखें

अगले पहिए में जो λs कोण बना है उसे ही ट्रेल कोण कहते हैं।

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