क्या एक मुस्लिम हिंदू विवाह अवैध है?
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत बिना धर्म परिवर्तन के दो भिन्न धर्म के लोग विवाह कर सकते हैं।
सो दो मुस्लिम हिंदू , यदि स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत विवाह करते हैं तो यह वैध है और दोनों में से किसी को भी धर्म परिवर्तन की जरूरत नहीं है।
स्पेशल मैरिज एक्ट के अंतर्गत विवाह हेतु 4 प्रमुख शर्तें हैं
- दोनों में से किसी का वैवाहिक साथी जीवित न हो
- दोनों में से कोई पागल/मिर्गी /मानसिक रोग के कारण संतानोत्पत्ति में असमर्थ न हो
- पुरुष 21+ वर्ष , लड़की 18+ वर्ष की हो
- दोनों नज़दीकी रिश्तेदार न हों जो निषिद्ध कोटि में आती हो अन्यथा प्रचलित रिवाजों में यह मान्य हो
- इस से स्पष्ट है कि दोनों पक्षकारों के धर्म से कोई लेना देना नहीं है
इसका विस्तृत विवेचना , कानूनी भाषा में आप नीचे पढ़ सकते हैं
अध्याय 2
विशेष विवाहों का अनुष्ठापन
4. विशेष विवाहों के अनुष्ठापन संबंधी शर्तें-विवाहों के अनुष्ठापन सम्बन्धी किसी अन्य तत्समय प्रवृत्त विधि में किसी बात के होते हुए भी, किन्हीं दो व्यक्तियों का इस अधिनियम के अधीन विवाह अनुष्ठापित किया जा सकेगा यदि उस विवाह के समय निम्नलिखित शर्तें पूरी हो जाती हैं, अर्थात् :-
(क) किसी पक्षकार का पति या पत्नी जीवित नहीं है;
[(ख) दोनों पक्षकारों में से-
(i) कोई पक्षकार चित्त-विकृति के परिणामस्वरूप विधिमान्य सहमति देने में असमर्थ नहीं है; या
(ii) कोई पक्षकार विधिमान्य सहमति देने में समर्थ होने पर भी इस प्रकार के या इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित नहीं रहा है कि वह विवाह और सन्तानोत्पत्ति के अयोग्य है; या
(iii) किसी पक्षकार की उन्मत्तता का बार-बार दौरा नहीं पड़ता रहता है;ट
(ग) पुरुष ने इक्कीस वर्ष की आयु और स्त्री ने अठराह वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है;
[(घ) पक्षकारों में प्रतिषिद्ध कोटि की नातेदारी नहीं है :
परन्तु जहां कम से कम एक पक्षकार को शासति करने वाली रूढ़ि उनमें विवाह अनुज्ञात करे वहां ऐसा विवाह, उनमें प्रतिषिद्ध कोटि की नातेदारी होते हुए भी अनुष्ठापित किया जा सकेगा; तथा]
आगे के प्रावधान जम्मू कश्मीर से संबंधित हैं