क्या आपको लगता है कि भारत की आज़ादी महात्मा गांधी ने दिलाई?

1939-45 तक चले दूसरे विश्वयुद्ध ने भारत की आज़ादी की ज़मीन तैयार की। इस विश्वयुद्ध में जापान,जर्मनी को अमेरिका और ब्रिटिश सेना ने परास्त तो कर दिया मगर हिटलर ने इनको भारी नुकसान पहुँचाया था। युद्ध खत्म होते होते ब्रिटिश अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी थी, लेकिन जीत का गरूर था तो अंग्रेज़ इस युद्ध में हारी हुई फौजों के युद्ध बंदियों को सज़ा देना चाहते थे।

भारत में आज़ाद हिन्द फौज के अफसरों पर देशद्रोह, हत्याओं के मुक्क्दमे चलाये जाने लगे, इन मुकदमो को रेड फोर्ट ट्रायल्स का नाम दिया गया, लेकिन अंग्रेज़ों की बदला लेने की इस हरकत ने ब्रिटिश इंडियन आर्मी में काम कर रहे भारतीय सैनिकों को गुस्से से भर दिय। 1946 में रॉयल इंडियन नेवी में 78 अलग अलग जहाज़ों पर काम कर रहे 20000 हज़ार सैनिकों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। रॉयल इंडियन नेवी के ये सैनिक नेता जी के पोस्टर लेके मुंबई पहुँच गए, और इन्होने अंग्रेज़ों को जय हिन्द और आज़ाद हिन्द फौज के नारे लगाने पर मजबूर कर दिया।

इन घटनाओ से प्रेरित होकर दूसरी जगह भी भारतीय सैनको द्वारा विद्रोह की घटनाएं होने लगीं। हालत यह थे की अंग्रेज़ अब भारतीय सैनिको पर भरोसा करने की स्थिति में नहीं थे। उस समय भारत में अंग्रेज़ सैनिकों की संख्या केवल 40000 थी,जबकि विश्वयुद्ध के बाद 25 लाख भारतीय सैनिकों को सेवामुक्त किया जा रहा था। अंग्रेज़ विश्वयुद्ध में इन 25 लाख सैनिको का शौर्य देख चुके थे। ब्रिटिश सम्राज्य दूसरे विश्वयुद्ध के बाद आर्थिक रूप से भी इतना कमज़ोर हो गया था की वे और सेना भारत में लाना नहीं झेल सकते थे। इसलिए वे जल्दी में अपना बोरिया बिस्तर समेट कर निकल लिए।

1938 में गाँधी जी ने सुभाष चंद्र बोस को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन सुभाष चंद्र बोस के विचार गाँधी जी को रास नहीं आये और उन्हें हटा दिया गया, बोस चाहते थे की अंग्रेज़ विश्वयुद्ध में हैं और इस परिस्थिति का फ़ायदा भारतियों को उठा कर आज़ादी के आंदोलन को और तेज़ करना चाहिए, जबकि गाँधी का विचार था की भारतियों को जापान और जर्मनी के खिलाफ लड़ाई में अंग्रेज़ों का साथ देना चाहिए।

दूसरे विश्वयुद्ध में अंग्रेज़ों की ओर से लड़ते हुए 36,000 से अधिक भारतीय सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी, 34,354 से अधिक घायल हुए और लगभग 67,340 सैनिक युद्ध में बंदी बना लिए गए।

लेकिन ये सब बातें है बच्चों को इतिहास में क्यों नहीं पढ़ाई जाती? क्या सिर्फ इसलिए की नेता जी और आज़ाद हिन्द फौज के बारे में पढ़ने पर गाँधी ओर नेहरू का योगदान फीका लगने लगेगा? या सिर्फ एक परिवार को हीरो बनाने के लिए।

आज़ादी के बाद भी अनेकों ऐसे कारण मिलते हैं जो कांग्रेस के लिए नफरत पैदा करने के लिए काफी हैं। चाहे 1984 का सिख नरसंहार हो या भोपाल गैस कांड, लिस्ट बहुत लम्बी है।

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