क्या आपको पता है सम्राट अकबर अपने प्रिय मंत्री बीरबल से पहली बार कैसे मिले थे? जानिए
बादशाह अकबर ने पान की फरमाइश की। तुरंत पान बनाने वाले बन्दे ने पान का बीड़ा बनाकर पेश किया। बादशाह ने जैसे ही पान खाया पान में चूना कुछ ज्यादा होने से मुंह मे जलन हुई। अकबर ने पान बनाने वाले को कहा कि तुरंत एक किलो चूना लेकर आये। तो बन्दा तुरंत किले से निकल कर बाज़ार में आया और एक पान बनाने वाले से जाकर कहा कि एक किलो चूना दे दो।
वहीँ बीरबल भी पान खा रहे थे। उसे एक किलो चूना मांगते देखा तो पूछा भाई इतने चूने का क्या करोगे तो बन्दे ने जवाब दिया कि शहनशाह का हुक्म है इसलिए ले जा रहा हूँ। बीरबल समझ गए कि क्या गड़बड़ हुई है। उसे कहा कि साथ मे एक किलो दही भी लेकर जाए। और अगर शाह उसे ये चूना खाने को कहे तो तुरंत खाये और पीछे से सारा दही पीले। बन्दे को भी समझाया कि क्या माजरा है।
अब जैसे ही बन्दा शाह के सामने पहुँचा बादशाह ने तुरंत हुक्म दिया कि सारा का सारा चुना उसे पिला दिया जाए। इतना चूना पीने से आदमी की मौत हो जाती है वो भी तड़प तड़प कर। परंतु बादशाह के हुक्म की तुरंत तामील की गई। जैसे ही बन्दे ने चूना पिया तुरंत एक तरफ जाकर ऊपर से दही पीलिया और घर जाकर सो गया। अगले दिन वापिस अपने काम पर आ गया।
फिर बादशाह ने पान की फरमाइश की। पान इस बार बिल्कुल शानदार बना था। बादशाह ने पूछा पान किसने बनाया है। पता चला उसीने जिसने कल बनाया था। बादशाह को बड़ी हैरत हुई। बुलाया और पूछा तू जिंदा कैसे बच गया। तो उसने बीरबल का जिक्र किया। तुरंत पता लगवाया गया की बीरबल कौन है और कहाँ रहता है। दरबार मे बुलवाकर बीरबल को मिलवाया गया तो शाह ने इनाम दिया कि उनकी वजह से एक अच्छे पान बनाने वाले बन्दे की जान बच गयी। वरना क्षणिक आवेश में अकबर ने एक पान का कारीगर खो दिया होता। साथ ही बीरबल के तेज दिमाग से भी प्रभावित हुए।
बीरबल ने तुरंत पता लगा लिया था कि बंदे ने बादशाह को ज्यादा चूना खिला दिया है जिससे बादशाह ने नाराज़ होकर इतना चूना मंगवाया है और उसे ही खिलाने की सजा देगा। इस तरह बीरबल ने उस गरीब की जान बचा ली।
बाकी दोनों की दोस्ती के बारे में आपको पता ही है।
परंतु बहुत कम लोगों को ये पता है कि बीरबल एक अच्छे सेनापति भी थे और उनकी मृत्यु भी अफगानिस्तान में मुग़ल सेनाओं के नेतृत्व करते हुए हुई। अकबर बहुत रोया और कई बार बोला कि मुझे उन्हें भेजना ही नही चाहिए था।