क्या अनारकली को सच में दीवार में चुनवा दिया गया था? जानिए सच

सलीम, बादशाह- ए –हिन्दी अकबर और हरका बाई की औलाद थे. बचपन से ही वे जिद्दी थे. उनकी गुस्ताखियाँ अकबर को बिलकुल पसंद नहीं थी, जिस कारण अकबर ने सलीम को फोज के साथ भेज दिया, ताकि वे अनुशासन सीख सके और आगे जाकर बादशाह- ए –हिन्दी का तख्त संभालने लायक बन सके. इस तरह बचपन से ही बाप – बेटे के रिश्ते अच्छे नहीं थे. सलीम हमेशा ही पिता के अल्फ़ाज़ों की तौहीन करते आए थे, जिस कारण उन्हे 14 वर्षों तक अपनों से दूर रहना पड़ा, शायद इसलिए ही उनका अपने परिवार से ज्यादा लगाव नहीं था.

कुछ समय बाद सलीम को वापस बुलवाया गया और उनके आने की खुशी में लाहोर में जश्न रखा गया. इस जश्न में मुजरा (एक प्रकार की नृत्य कला) होना था, जिसके लिये नादिरा को बुलाया गया. नादिरा एक कनीज़ अर्थात नाचने वाली थी, जिसका हुस्न देखते ही बनता था. उसकी खूबसूरती से किसी की निगाहे हटती नहीं थी. नादिरा का हुस्न जितना खूबसूरत था, उतना ही खूबसूरत उनका नृत्य था. उनकी इसी अदा और कौशल को देखकर अकबर ने उन्हे “अनारकली” नाम से नवाजा था. अनारकली मतलब के सुंदर खिला हुआ फूल.

अनारकली ने लाहौर के उस जश्न में भी अपनी कला का प्रदर्शन किया और उस दिन सलीम ने पहली बार अनारकली को देखा और उसके हुस्न और सादगी को देख वो उस पर फिदा हो गये और उससे मोहब्बत करने लगे. अनारकली को उन्होने अपने प्यार का इज़हार किया. अनारकली समझती थी, कि एक कनीज़ और शैहज़ादे के बीच कोई प्रेम संबंध नहीं हो सकता, इसलिये उसने सलीम से दूरी बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन सलीम की मोहब्बत के आगे अनारकली भी बेबस हो गई और सलीम को अपना दिल दे बैठी. दोनों छिप – छिप कर मिलने लगे, लेकिन एक दिन इस बात की खबर अकबर को लग गई और उसने सलीम को बुलवाकर उससे साफ- साफ कह दिया, कि हिंदुस्तान के तख्त पर वो किसी कनीज़ को मल्लिका बनने नहीं देंगे और इसलिये सलीम अनारकली को भूल जाए और उससे मिलना बंद कर दे. लेकिन सलीम की मोहब्बत इतनी कमजोर नहीं थी. उसने बादशाह-ए-हिन्दी के खिलाफ बगावत कर दी. अकबर ने भी अनारकली को सजा-ए- मौत देने का ऐलान कर दिया था, जिसके लिए उसे चारों तरफ ढूंढा जा रहा था. लेकिन सलीम के वफादार ने अनारकली को लाहौर से दूर कहीं छिपा दिया था.

अकबर के इरादों को देख सलीम ने अपनी सेना बनाई और अकबर के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया, लेकिन अकबर की विशाल सेना के आगे सलीम की हार हुई. जंग-ए-मैदान पर अकबर की तलवार सलीम को सजा नहीं दे पाई और उसे बंदी बनाकर सभा में लाया गया. सभा में अकबर ने सलीम से कहा, कि वो अनारकली को सौंप दे, तो वो उसे रिहा कर देंगे. सलीम की मोहब्बत के आगे उसकी जान के कोई मायने नहीं थे और उसने मौत को गले लगाना मुक्कमल किया और अनारकली को देने से मना कर दिया. बेटे के मोह को त्याग कर अकबर ने भरी सभा में सलीम के लिए सजा- ए- मौत का फैसला सुनाया.

दूसरी तरफ जब यह बात अनारकली को पता चली, तो उसने खुद को अकबर को सौंप दिया और सलीम को आजाद करने को कहा. तब अकबर ने अनारकली को सजा-ए-मौत के रूप में जिंदा दीवार में चुनवा देने की दर्दनाक सजा सुनाई और उससे उसकी आखिरी ख्वाइश पुछी. अनारकली ने कहा कि वो एक रात मालिका-ए- हिंदुस्तान बनकर सलीम के साथ गुजारना चाहती हैं, क्यूंकि सलीम ने उन्हे वादा किया था कि वो उसे मालिका-ए-हिंदुस्तान बनायेंगे और वो सलीम के उस वादे को मरने के पहले पूरा करना चाहती हैं. अकबर उसकी आखरी इच्छा पूरी करता हैं और कहता हैं कि वो सलीम को बैहोश करके सुबह सैनिको के साथ वहाँ से निकल जाये. अनारकली ऐसा ही करती हैं, एक रात सलीम के साथ गुजारने के बाद वो खुद को सैनिको को सौंप देती हैं. और सजा के अनुसार उसे दीवार में चुनवा दिया जाता हैं. इतिहास में यह समय सन 1599 माना जाता है, तब अनारकली की मौत हुई थी.

यहाँ तक इस कहानी का अंत होता हैं लेकिन कुछ लोगो के अनुसार, अनारकली की माँ जिसका नाम नूर खान अर्गन था, को अकबर ने उसके नृत्य से खुश होकर उसे वचन दिया था, कि वो जो चाहे उससे मांग सकती हैं. जब नूर ने अकबर से कुछ नहीं मांगा था, लेकिन अपनी बेटी की मौत को देख उसे वो वचन याद आता और वो अकबर से अपनी बेटी अनारकली की ज़िंदगी मांग लेती हैं. तब ऐसा कहा जाता हैं कि उसके वचन को पूरा करने के लिए अकबर एक सुरंग के जरिये अनारकली को लौहार के बाहर भेज देता हैं और उससे वचन लेता हैं कि वो कभी शैहजादे सलीम से ना मिले और इस तरह सलीम और अनारकली एक दूसरे से अलग हो जाते हैं, लेकिन उनकी मोहब्बत की दास्तां तारीख (इतिहास) में सुनहरे लब्जों में अमर हो जाती हैं.

अनारकली जिंदा थी या नहीं इस बात का कोई तथ्य नहीं है, लेकिन वर्तमान समय में पाकिस्तान के लौहार में उसी जगह जहां अनारकली को दीवार में चुनवाया गया था, वहाँ अनारकली का मकबरा हैं जिसे सन 1600 में सलीम ने अनारकली की याद में बनवाया था. आज भी इस जगह को अनारकली की याद के तौर पर देखा जाता हैं और वहाँ बाजार लगता हैं जिसे महिलाओं के लिए लगाया जाता हैं. उस बाजार में महिलाओं से संबंधी सामान की बिक्री होती हैं.

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