कोरोना संकट: जानिए ऑक्सीजन को लेकर बिहार में कैसे हैं हालात

बख़्तियारपुर निवासी दिनेश अपनी पत्नी को लेकर एम्बुलेंस से मंगलवार को हॉस्पिटल पहुंचे.

क़रीब 55 साल के दिनेश बदहवास स्थिति में इधर-उधर भागते नज़र आये.

पूछने पर उन्होंने कहा कि “मेरी पत्नी किरण देवी कोरोना संक्रमित है. आईजीआईएमएस से भेज दिया है. पत्नी गाड़ी में छटपटा रही है. एम्बुलेंस में जो थोड़ी ऑक्सीजन है उसी के भरोसे हैं. क़रीब दो घंटे से यहाँ हैं. एडमिट कर लिया है, लेकिन कोई वार्ड में ले जाने वाला नहीं है.”

इसी जद्दोजहद के बीच उनकी पत्नी चल बसीं. यह घटना उस नालंदा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल की है जहाँ के अधीक्षक डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने आशंका जताते हुए आग्रह किया था कि “ऑक्सीजन की कमी से मरीज़ों की मृत्यु के बाद सारी जवाबदेही मुझ पर थोपी जायेगी और आरोप गठित करते हुए कार्रवाई हो सकती है. ऐसे में मुझे तत्काल प्रभाव से इस अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया जाये.”

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हालांकि, इस संबंध में जब उनसे बात की गयी तो उन्होंने कहा कि “अस्पताल को 48 घंटे से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं किये जाने की वजह से मैंने वह पत्र लिखा था क्योंकि इसकी सारी जवाबदेही मुझ पर ही तय कर दी जाती.”

दिनेश की पत्नी का मंगलवार को सही वक़्त पर इलाज नहीं मिलने पर मर जाना, अधीक्षक का स्वास्थ्य महकमे के प्रधान सचिव को पत्र लिखा जाना और हर दिन राजधानी पटना में एक्टिव केस मामलों का बढ़ना स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा प्रश्न चिन्ह है.

संक्रमण से मरीज़ों का डरना स्वाभाविक है, लेकिन चिकित्सक भी डर जाएँ तो भयावह स्थिति का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है.

राज्य सरकार के पास नहीं हैं सिलिंडरों के आंकड़े
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के उभार के बीच स्वास्थ्य विभाग को इस बात की जानकारी नहीं है कि इस साल मार्च महीने में कितने ऑक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति अलग-अलग अस्पतालों और औद्योगिक इकाईयों को की गयी और उसकी तुलना में अप्रैल माह में सिलिंडर की कितनी मांग बढ़ी.

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