कोको आईलैंड आजकल सुर्खियों में क्यों हैं, क्या आप कोको आइलैंड के बारे में कुछ जानकारी दे सकते हैं? जानिए वजह
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दक्षिण एशिया के सबसे प्रमुख रणनीतिक द्वीपों में से एक, कोको द्वीप ब्रिटिश सरकार को गिफ्ट कर दिया था जहाँ से आज चीन भारत पर पैनी नज़र बनाए हुए है।
कोको द्वीप का इतिहास
कोको द्वीप समूह दक्षिण एशिया के सबसे महत्वपूर्ण द्वीपों में से एक है। यह रणनीतिक द्वीप कोलकाता के 1255 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है। भूभार्गीय रूप से कोको द्वीप अराकान पर्वत या राखीन पर्वत का एक विस्तारित विभाजन है जो कि बंगाल की खाड़ी में द्वीपों की एक श्रृंखला के रूप में लंबे भूभाग तक फैला हुआ है।
अंडमान निकोबार द्वीप की तरह ही कोको द्वीप भी भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। जब भारत में ब्रिटिश राज खत्म हो रहा था तब देश के सामने ऐसे कई मुद्दे थे जिनके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं था। अंग्रेजी सरकार कभी नहीं चाहती थी कि भारत एक आज़ाद और ताकतवर देश बने और इसीलिए उसने भारत में ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाई और देश को अलग-अलग भागों में बाँट दिया। भारत में ब्रिटिश राज के दौरान ब्रिटिश सरकार की नज़र हिन्द मसागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से घिरे कई रणनीतिक द्वीप समूहों पर थी। अंग्रेजी सरकार इन द्वीप समूहों पर अपना अधिकार रखना चाहती थी जिससे वह हमेशा भारत पर राज कर सके।
अंग्रेजी सरकार के साथ-साथ पाकिस्तान की नज़र भी इन द्वीप समूहों पर हमेशा से ही रही है। पाकिस्तान लक्षद्वीप पर कब्जा करना चाहता था जिससे वह भारत की गतिविधियों पर नज़र रख सके। लेकिन सरदार पटेल की समझदारी और कुशल नेतृत्व की वजह से ऐसा नहीं हुआ। सरदार पटेल ब्रिटिश सरकार के सामने नहीं झुके और ऐसा नहीं होने दिया। सरदार पटेल ने पाकिस्तान से पहले ही लक्षद्वीप पर भारतीय नौसेना तैनात कर दी। जब ब्रिटिश सरकार को लगा कि सरदार पटेल कभी भी अंडमान निकोबार ब्रिटिश सरकार को नहीं देंगे तो उन्होंने कोको द्वीप अपनाने की कोशिश की। कोको द्वीप पर अधिकार पाने के लिए लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के सामने कोको द्वीप को लेकर त्रिपक्षीय समझौते का प्रस्ताव रखा।1950 में नेहरू ने भारत का यह कोको द्वीप समूह बर्मा (म्यांमार) को गिफ्ट दे दिया। बाद में बर्मा ने यह द्वीप चीन को दे दिया गया, जहाँ से आज चीन भारत पर निगरानी रखता है।
कैसे चीन कोको द्वीप से रखता है भारत पर नज़र
भारत के लिए कोको द्वीप सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मलक्का के जलपोत के बहुत करीब है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 1990 से ही चीन कोको द्वीप पर लगातार अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है जिससे वह भारत पर नज़र रख सके।
चीन ने कोको द्वीप पर एक मॉनिटरिंग स्टेशन और राडार स्टेशन भी स्थापित किया है जिससे वह भारतीय नौसैनिक गतिविधियों की निगरानी रखता है। चीन कोको द्वीप पर बने मॉनिटरिंग स्टेशन से बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में लॉन्च होने वाली भारतीय मिसाइलों और भारतीय नौसेना की गतिविधयों पर नज़र बनाए रखता है। इसके अलावा चीन ने कोको द्वीप पर बने एयरस्ट्रिप को भी बढ़ा दिया है। चीन ने भारत के आस-पास कई बंदरगाह बना लिए हैं। कोको द्वीप के अलावा चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान, बर्मा, और बांग्लादेश में भी कई बंदरगाह बना लिए हैं। अगर नेहरू ने कोको द्वीप ब्रिटिश सरकार को ना दिया होता तो आज भारत को चीन से इतना खतरा ना होता।