कैसे एक नेता का बेटा खेल जगत से अनजान होकर भी बीसीसीआई का अध्यक्ष बन गया? जानिए

शरद जि bcci के अध्यक्ष रहे है इतना तो जानते ही होंगे. उन्होंने मैदान मैं चौके छक्के न मारे हो लेकिन महाराष्ट्र मुंबई मैं खूब खेला खेला है और खूब शक़्कर पैदा करि खायी और खिलाई है. इनको पहचान लौ. युही मुँह टेड़ा न्ही हुआ है. भगवान को बहुत मेहनत करनी पढ़ी है सीधे से टेढ़ा किया है.

ये 2005–2008 तक bcci के अध्यक्ष रहे फिर इतने से ही संतुष्ट न होने पर 2010–2012 तक icc के भी अध्यक्ष रहे. उससे पहले mca के अध्यक्ष रहे. बिहार मैं लालूयादव के लोग बसा के अध्यक्ष रहे. मेरा तो अब यह बिचार है की खैल संघ का पड़ राजनितिक ही है क्योंकि इनमे खिलाडी यो पिछड़ जाते है और संघ के पदों पर राजनेता ही जमे रहते है क्योंकि यह मलाइदार पद है. कमाई है तब ही राजनेता इधर आ रहे है और मज़ा तो ग्लैमर तो साथ मैं है ही. विदेशी दौरे भी आकर्षण है.

ये कोई अकेले नहीं है जो किसी और पेशे से है और खैल संघोन के अध्यक्ष रहे है इनके अलावा अनेको राजनीतिज्ञ खैल संघो पर हवि रहे क्योंकि खेल मैं खेला होता है पूरी राजनीती होती है. महिला खिलाडी इस मैं पीस भी जाती है कई बार कुछ ही सिरदर्द बन जाते है अब बेचारी खेले की खिलाडियों को खुश करें और पुरुष खिलाडी जुगाड़ लगते लगते लटक जाते है.

ऐसा क्रिकेट ही नहीं अधिकतर खेलो मैं है क्योंकि सब खैल तो भारत ही खेलृहा है. लोग तो भारतीय ही हैा माँन्सिक्ता तो सभी की एक हिहै. फिर दूसरे खेलसंघ भी पडोसी को प्रभावित करते है.

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