केंद्र सरकार ने 1 मई से 18 वर्ष से उपर के सभी लोगों को कोरोना का टीका देने का निर्णय लिया है। क्या इसके साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हैं? जानिए
कोविड 19 के टीकाकरण की शुरुआत भारत में 16 जनवरी से शुरू हुई। सबसे पहले टीका फ्रंटलाइन वर्कर्स को दिया गया। इनमें सिर्फ चिकित्सा छेत्र से जुड़े लोग ही नहीं थे बल्कि उन लोगों को भी दिया गया जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में किसी रूप से जुड़े थे। यह टीका मुफ्त दिया गया और खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया।
टीके की उपलब्धता बढ़ी तो 60 वर्ष से उपर के सभी लोगों को और 45 साल से उपर के उन लोगों को दी गई जो कुछ विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित थे।
अब वैक्सीन 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त दी जा रही है।
वैक्सीन सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त मिली। इन्ही वैक्सीन को कुछ चुनिंदा प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी दिया गया। झारखंड में प्राइवेट हॉस्पिटल में 250 रुपए का भुगतान करना पड़ा परंतु टीका वही ले सकते थे जो 45 साल से उपर के थे।
अब एक मई से टीका 18 वर्ष से उपर के सभी लोग ले सकते हैं परंतु अब नियम बदल गए हैं।
टीके की उपलब्धता का 50 प्रतिशत अब केंद्र सरकार लेगी और पहले की तरह 45 वर्ष के ऊपर के लोगों को देती रहेगी।
शेष 50 प्रतिशत वैक्सीन निर्माता कंपनियां कीमत निर्धारण कर अन्य को बेच पाएंगी, जिनमें राज्य सरकारें भी हो सकती हैं और प्राइवेट हॉस्पिटल भी।
ये वैक्सीन 18 वर्ष से उपर के किसी को भी दी जा सकेगी।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि अगर ज्यादा डिमांड आया तो कंपनिया कैसे निर्धारित करेंगी कि किसे वैक्सीन दें अथवा ना दें।
अब प्राइवेट हॉस्पिटल या राज्य सरकारें जो वैक्सीन हासिल कर पाएंगी वह कितने पैसे लेकर लोगों को लगाएंगी यह भी स्पष्ट नहीं है।
यह तो कहा गया है कि जिनको पहली वैक्सीन लग चुकी है उनकी जरूरत का ध्यान रखा जाएगा। कैसे रखा जाएगा यह स्पष्ट नहीं है।