कुलदेवताओं को मानना कितना जरूरी होता है? जानिए

जैसे सरकार में अलग अलग विभाग के अलग अलग मंत्रालय होता हैं और अलग अलग मंत्री होते हैं, सब को एक चोककस जिम्मेदारी दी जाती हैं वैसे हिन्दू धर्म में सब देवी देवता ओ को वर्गीकृत किया गया हैं और सब को अपने अपने मंत्रालय दिए गए हैं।

इस तरह मुख्य चार वर्ण ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इनमें ही मानव जाति वर्गीकृत थी। सभी आद्य शक्ति को अलग अलग कुल की रक्षा के लिए नियुक्त की गई हैं और कुल में कोई पूर्वज संग्राम में लड़ते लड़ते शूरवीर हो गए हो वो कुल के कुलरक्षक सुरापुरा दादा के रूप में पूजे जाते हैं।

ये सब इतना सिस्टेमेटिक हैं कि आप के कुल की आप के कुटुम्ब की रक्षा की जिम्मेदारी जो आद्य शक्ति देवी को दी गई हैं उनकी जो नियमित पूजा और निश्चित समय पर उनके निश्चित नैवेद्य का भोग धरते हैं तो वो देवी की पूरी जिम्मेदारी बन जाती हैं कि वो कुल-कुटुम्ब की रक्षा प्रदान करें।

अब आप समजिये की ये कितनी बड़ी बात हो गई। इसीलिए कुलदेवता को मानना ही चाहिए बल्कि उनके नैवद्य भी करना चाहिए।

कोई भी देवी दूसरे कुल में हस्तक्षेप नहीं कर सकती, ये भी नियम हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *