कहावत है कि “शैतान को याद किया शैतान हाजिर” लेकिन “भगवान को याद किया भगवान हाजिर” यह कहावत क्यों नहीं बनी?
एक राजा, जो काफी परेशान था, अपने गुरु के यहां गया, गुरु ने उसको बताया कि ईश्वरके इस मंत्र का जाप करो और उसे मंत्र बता कर अच्छी तरीके से समझा दिया, राजा ने फिर पूछा मंत्र के बारे में, गुरु जी ने फिर बताया दीया,राजा ने तीसरी बार फिर पूछा, गुरुजी ने पुनः मंत्र को बहुत अच्छी तरीके से बता दिया और राजा को समझा दिया, बार-बार राजा मंत्र के बारे में पूछ रहा था और गुरुजी उसको बता रहे थे.
लेकिन राजा की समझ में नहीं आ पा रहा था फिर थोड़ी देर बाद गुरु जी ने कहा साले गधे समझ नहीं पा रहे हो क्या बस राजा की आंख लाल हो गई उसका खून का संचार बढ़ गया गुरुजी ने कहा कि देखा यह कलयुग चल रहा है मंत्र का प्रभाव तुम्हारे ऊपर उतनी शीघ्र नहीं हुआ जितना गाली का प्रभाव शीघ्र पड़ा, बस इसी प्रकार नकारात्मक चीज सबसे पहले आकर्षित करती है.
और सकारात्मक चीज में समय लगता है, मैंने जिस कथा का यहां वर्णन किया है यह मुझे मेरे गुरु प्रयागराज के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय जी ने बताया था जब मैं बहुत ज्यादा दुविधा में था और इसी प्रकार के प्रश्न पूछता था, मुझे लगता है यह कहावत शैतान को हाजिर किया शैतान हाजिर इसी गूढ़ रहस्य का संकेत देती है,
ईश्वर दर्शन के लिए तपस्या करनी पड़ती है, अच्छे काम के लिए काफी प्रयास करना पड़ता है और कभी-कभी बिना प्रयास किए गलत कार्य स्वत: ही हो जाता है,इसको ऐसे भी समझा जा सकता है, सकारात्मक टिप्पणियां बहुत कम लोग करते हैं, नकारात्मक टिप्पणियां करने वाले लोग बहुत ज्यादा सक्रिय रहते हैं,इसीलिए शैतान का नाम लेने से शैतान जल्दी हाजिर हो जाता है.