कर्ण को अगर छल से नहीं मारा जाता तो क्या उसको मार पाना संभव भी था? जानिए

कर्ण को छल से नही मारा गया, महाभारत में जितने योद्धा मरे, उनकी मृत्यु उसी नियति में थी, आप जरा विचार करे, कर्ण के दो श्राप के बारे में, पहिला श्राप उनके गुरु भगवान परशुराम द्वारा दिया गया, जब तुम्हे मेरे द्वारा सिखायी गयी विद्या की अत्यंत आवश्यकता होगी तो ये विद्या तुम भूल जाओगे, हुआ भी यही, उसके जीवन के अंतिम दो लक्ष्य थे,

पहला सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन को हराकर यह उपाधि अपने नाम करना, दूसरा अपने मित्र दुर्योधन के उपकार के ऋण को चुकाना, दोनो लक्ष्य, अर्जुन पर ही खत्म होते थे, अतएव यह समय कर्ण के लिए सबसे महत्वपूर्ण समय था, लेकिन गुरुदेव के श्राप के कारण उस महत्वपूर्ण समय मे वह अपनी विद्या भूल गया, दूसरा श्राप ब्राह्मण का जिसकी वजह से उसका रथ जमीन में धंस गया,

लेकिन कारण के साथ छल कहां हुआ वह जब भी अर्जुन को मारता, गुरुदेव के श्राप के कारण उसके साथ यही होता, अपनी विद्या भूल जाता, तो क्या अर्जुन उसे बार- बार छोड़ देता, लेकिन अर्जुन को यह युद्ध तो जीतना था, वास्तव में यही वह समय था,

जिसमे कारण की मृत्यु लिखी थी जिसे भगवान श्री कृष्ण ही जानते थे, और अंत मे उसकी मृत्य हुई। तो फिर उसे छल से कहा मारा गया। छल तो उसने अभिमन्यु से करके उसे मारा, सात सात महारथी अकेले निशस्त्र अभिमन्यु को घेर के मारे थे।

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