करनाल का युद्ध किस-किस के मध्य हुआ था? जानिए

भारत पर नादिर शाह के आक्रमण के समय मुग़ल शासक मुहम्मद शाह का शासन चल रहा था| वह एक लापरवाह और रंगीन मिज़ाज का बादशाह था | इसलिय इसिहाकारों ने उसे रंगीला बादशाह की संज्ञा दी है |

भारत का पश्चिमोत्तर का क्षेत्र काफी असुरक्षित हो चूका था | विदेशी आक्रमणकारियों के लिए यह एक खुला क्षेत्र बन चूका था | भारतीय शासकों के इसी कमजोरी का फायदा नादिर शाह ने उठाया और इसी रास्ते उसने भारत में प्रवेश किया | उसकी मंशा यहाँ की बेशुमार दौलत को लूटना और ईरान लेकर जाना था |

भारत में नादिर शाह के प्रवेश से मुहम्मद शाह घबड़ा गया | उसने तत्काल एक सभा बुलाई | उसने हैदराबाद के सूबेदार निजामुलमुल्क (चिनकिलिच खां) और अवध के सूबेदार सआदत खां के साथ मिलकर नादिर शाह से मुकाबले के लिए रणनीति बनाई |

निजामुलमुल्क और सआदत खां की एक दुसरे से बनती नहीं थी | वे एक दुसरे से ईर्ष्या करते थे |

23 फरवरी 1739 ई. को नादिर शाह और निजामुलमुल्क, सआदत खां तथा मुगलों के सेनापति दुरान खां की सम्मिलित सेना का मुकाबला करनाल के मैदान में हुआ |

इसलिए इसे करनाल का युद्ध कहा जाता है | इस युद्ध में मुगलों की अपेक्षा नादिर शाह की सेना काफी कम थी | लेकिन फिर भी उसने इस युद्ध में मुगलों की सम्मिलित सेना को पराजित कर दिया | इस युद्ध में मुग़ल सेनापति दुरान खान मारा गया | और सआदत खान को बंदी बना लिया गया | जबकि निजामुलमुल्क ने 50 लाख का हर्जाना और कई हाथी , घोड़े नादिरशाह को प्रदान किये | तब जाकर उसकी जान बच सकी |

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