कभी भी भूले से भी न जाए सूरज डलने के इस मंदिर में नहीं तो…..

तकरीबन आधे से ज्यादा लोग हर सुबह और शाम को घर लौटने के बाद मंदिर जाने की प्रथा को अपने जीवन में आजमाते है, लेकिन चलिए आज हम बात करेंगे एक ऐसे मंदिर की जहाँ पर रात में जाने की अनुमति बिल्कूल भी नहीं है, आखिर ऐसा क्यों और क्या है इस मंदिर के अंदर की लोग रात में नहीं जाते, बड़ी ही अजीब और रोचक सी कहानी है और ये एक रहस्य भी है तो आइये आज जानते है इसके बारे में कूछ विशेष बातें ,,,

राजस्थान के बाड़मेर से तक़रीबन 30 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटे से कस्बे में विद्यामान है , इस मंदिर का नाम किराडू है, और अगर आज भी इस किराडू के नाम की बात कि जाए तो लोगों के दिलों में इसकी दहशत जाग उठती है, दरअसल कुछ लोगो का यह मानना हैं यह मानना है की इस मंदिर के अंदर प्रवेश करने से लोग पत्थर के बन जाते हैं, इसलिए यहाँ सूरज के ढ़लने के बाद कोई भी व्यक्ति नहीं जाता।

किराडू टेम्पल से जुड़ी हुई सदियों पुरानी किवदंतियां आज भी यहां कायम हैं,जोकि किवदंतियां आज भी 900 सालों से इस विरासत में एक कलंक बनी हुई हैं, यहाँ लोगो को सिर्फ इसी बात का डर सताता है की कही वो भी पत्थर के न बन जाएं । इसलिये वो इस मंदिर में संध्या के समय कभी भी भूल से भी नहीं जाते ।

यू तो किराडू मंदिर के बारे में तमाम किस्सेऔर कहानियाँ सुनाई जाती हैं, चूंकि पास के गांव के रहने वालों के लोगों के मुताबिक मंदिर के पास में पड़ा पत्थर एक कुम्हारिन का है, जोकि किसी साधु का श्राप भुगत रही है। यानी साधु के श्राप के कारण ही वो महिला पत्थर की बन गई थी, और इस पत्थर की मूर्ति या प्रतिमा को देखकर ही लोग मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं करते। जहां तक लोगो का माना है कि किराडू टेम्पल इकलौता ऐसा मंदिर होगा जहाँ अँधेरा ही अँधेरा होता और यहां पर कभी दीये नहीं जलाए जाते, ऐसा माना या कहा जाता हैं कि अंधेरा होने के बाद यहां जो भी व्यक्ति रुका होता है , वो हमेशा के लिए पत्थर का बन गया।

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