कभी-कभी ना मेहनत काम आती है, ना तकदीर साथ देती है, ऐसा क्यों होता है? जानिए

अधिकतर लोगों के यही विचार होते हैं, ना मेहनत काम देती है न तकदीर साथ देती है।यह पूर्णतः निराशाजनक विचार है।आज विज्ञान के प्रयास द्वारा शिक्षा प्रशासन और चिकित्सा के क्षेत्र में या यूं कहे हर क्षेत्र में सुधार लाने की लगातार कोशिश की जा रही है।

ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इंसाफ और न्याय सही से मिल सके।किसी को किसी तरह का ही शिकायत ना रहे।

हमारे देश में ऐसे तत्व सक्रिय हैं।जिनको ऐसे व्यक्ति की हमेशा तलाश रहती है।जो अपनी मेहनत के तरीके को दोष ना देकर, तकदीर को दोष देते हैं।वास्तविकता को केंद्र में रखकर जब तक आप सच्चाई को समझने का प्रयास नहीं करेंगे। तब तक इसी तरह के निराशाजनक विचार आपके मस्तिष्क में आते रहेंगे।

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