कई सालों से हवा से झूल रहा है यह मंदिर, जरा सी लापरवाही और खाई में

झूलते हुए मंदिर का नाम हैंगिंग टेंपल
आपके मन में यह सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि आखिर हवा में झूलते हुए इस मंदिर पर लोग दर्शन के लिए कैसे जाते होंगे??? तो आइए आपको इसका जवाब दे ही देते हैं… इस अद्भुत मंदिर से जुड़ी आस्था व लोगों की सच्ची आस्था ही उन्हें यहां खींच लाती है। हवा में झूलने के कारण ही इस मंदिर का नाम हवा में झूलता मंदिर यानि कि हैंगिंग टेंपल रख दिया गया है।

हैंगिंग टेंपल की विशेषताएं

यह खास मंदिर चीन के शहर ताथोंग से लगभग 65 कि.मी. दूर शानसी प्रान्त के हुन्यान कस्बे में स्थित हंग पहाड़ी के बेहद संकरे स्थान पर स्थापित है। वहीं, घनी पहाड़ियों के बीच घाटी में फैले एक छोटे से बेसिन पर स्थित यह मंदिर बहुत ही लंबा है। वहीं, घाटी के दोनों तरफ़ करीब 100 मीटर ऊंची सीधी खड़ी चट्टानें भी मौजूद हैं।

बता दें कि यह मंदिर ऐसी ही सीधी खड़ी चट्टान पर लगभग 50 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है, जो दूर से देखने पर हवा में लटका हुआ प्रतित होता है। वहीं, यह मंदिर कला और संस्कृति का अद्भुत केंद्र भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के निर्माण में बौद्ध, ताओ और कन्फ्युशियस धर्मों की मिश्रित शैली का संगम है। दिलचस्प बात यह है कि इसका आधे से ज्यादा भाग हवा में लटके होने से यह मंदिर पूरे विश्व में हैंगिंग टेंपल के नाम से लोकप्रिय है।

हैंगिंग टेंपल से जुड़ी पौराणिक गाथाएं

वहीं, बात अगर पौराणिक मान्यताओं की करें तो इस मंदिर का निर्माण लगभग 1500 साल पहले हुआ था और तब से लेकर आज तक इस मंदिर का आधे से ज़्यादा हिस्सा हवा में ही लटका हुआ है। चीन की भाषा में इस मंदिर का नाम “शुआन खोंग” है, जिसका अंग्रेजी में मतलब होता है हेंगिंग टेम्पल।

इस खास ऐतिहासिक मंदिर को दूर-दूर से भारी संख्या में विश्व भर के पर्यटक देखने आते हैं जिस वजह से साल भर यहां पर्यटकों की भीड़ लगी ही रहती है। ध्यान दें कि चीन में बौद्ध, ताओ और कन्फ्युशियस धर्मों की मिश्रित शैली से बना यह एकलौता अद्भुत मंदिर ही अब तक सुरक्षित बचा हुआ है। इस मंदिर में छोटे-बड़े 40 से अधिक भवन व मंडप हैं जो चट्टान पर गाड़े हुए लकड़ियों से टिका हुआ हैं और इसी कारण हवा में बने हुए लकड़ी के रास्ते पर चलने वाले लोगों की सांसें अटकी रहती है।

बताते चलें कि यह बहुमंजिला मंदिर दस से अधिक पतली-पतली लकड़ियों पर खड़ा हुआ है। वहीं, मंदिर पर पहाड़ी की चट्टान का एक बाहरी हिस्सा आगे की ओर भी लटका हुआ है जिससे ऐसा लगता है कि चट्टान का यह सिरा अभी मंदिर पर गिरने को तैयार है, हालांकि आज तक कभी ऐसा हुआ नहीं है। लकड़ियों से बनी पगडंडियों से होकर जाते समय पर्यटकों को हिदायत दी जाती है कि वह नीचे नहीं देखें क्योंकि आपकी ज़रा सी लापरवाही से सीधे खाई में गिरने का खतरा बना रहता है।

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