ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टी-20 मैच में जडेजा की जगह युजुवेंद्र चहल को कन्कशन सब्स्टीट्यूट बनने देना, क्या सही फैसला था?
इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया के बीच 1 अगस्त 2019 से होने वाली एशेज सीरीज से सब्स्टिट्यूट खिलाड़ियों से संबंधित नया नियम लागू हो चुका है। नियम के मुताबिक अगर कोई खिलाड़ी चोटिल होता है तो उसकी जगह दूसरा खिलाड़ी ले सकेगा। वह बल्लेबाजी, गेंदबाजी और विकेटकीपिंग भी कर सकता है। ऐसे खिलाड़ियों को कन्कशन सब्स्टिट्यूट कहा जाएगा। कन्कशन सब्स्टिट्यूट को मैदान पर उतारने का फैसला मैच रेफरी करेंगे। अभी सब्स्टिट्यूट खिलाड़ी को सिर्फ फील्डिंग करने छूट दी जाती है। नियम के मुताबिक, बल्लेबाज के चोटिल होने पर बल्लेबाज और तेज गेंदबाज चोटिल होता है तो उसकी जगह तेज गेंदबाज को शामिल किया जा सकेगा। यदि कोई ऑलराउंडर आता है तो वह केवल बल्लेबाजी ही कर सकता है।
यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी फॉर्मेट और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में लागू किया जाएगा। फिलहाल यह दो साल के लिए ही लागू किया गया है। इसके बाद रिव्यू के आधार पर ही इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
क्यूं अभी चर्चा में कनकशन सब्स्टीट्यूट
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टी20 सीरीज के पहले मुकाबले में कनकशन नियम का इस्तेमाल किया गया। जब प्लेइंग-XI में शामिल ना होने के बावजूद युजवेंद्र चहल गेंदबाजी करने लगे। उन्हें रविन्द्र जडेजा की जगह कनकशन सब्स्टीट्यूट के तौर पर उतारा गया।
जडेजा हैमस्ट्रिंग से भी परेशान नजर आए
भारतीय ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने कैनबरा में 23 गेंदों पर 44 रन बनाए और नाबाद लौटे। जडेजा ने अपनी नाबाद पारी में 5 चौके और 1 छक्का लगाया। ऑस्ट्रेलिया ने इस मैच में टॉस जीता और पहले फील्डिंग का फैसला किया। भारतीय टीम ने 20 ओवर में 7 विकेट पर 161 रन बनाए।
जडेजा को पेसर मिशेल स्टार्क पारी के अंतिम ओवर की दूसरी गेंद पर हेलमेट पर गेंद लगी। हालांकि वह बल्लेबाजी करते रहे और पारी खत्म होने के बाद नाबाद लौटे लेकिन कनकशन नियम के तहत उनकी जगह युजवेंद्र चहल को बोलिंग के लिए टीम इंडिया में शामिल किया गया।
ऑस्ट्रेलिया के कोच जस्टिन लैंगर पारी के ब्रेक के दौरान इस बात से काफी नाराज नजर आ रहे थे। वह मैच रेफरी डेविड बून से काफी बहस कर रहे थे।
हमारे देश में क्रिकेट मैच में लिया गया फैसला सही या ग़लत मैच के परिणाम पर निर्भर करता है। अगर टीम जीत जाती है तो ग़लत फैसला भी सही हो जाता है और उसे हर तरीके से सही मान भी लिया जाता है। अगर टीम मैच हार जाती है तो सही लिए गए फैसले पर भी सवालिया निशान खड़े किए जाते रहे हैं और हमारे देश के अति उत्साही क्रिकेट प्रेमी आगे भी करते रहेंगे।