SBI gives huge blow to millions of customers in lockdown, those who open savings account will have to face heavy loss

एचडीएफसी बैंक स्टॉक मार्केट में एसबीआई बैंक की तुलना में सबसे विश्वसनीय और बड़ा क्यों है?

छोटे समय अंतराल में ये बात ग़लत साबित हो सकती है पर लम्बे समय में ये बात शतप्रतिशत सत्य साबित होती है।

आप यदि दोनों कम्पनियों का तुलनात्मक मूल्यांकन करेंगे तो पाएँगे कि

SBI सरकारी बैंक है तो सरकारी योजनाओं का दबाव इस पर अधिक रहता है, जैसे लोन माफ़ी कर दी सरकार ने तो SBI को ही चूना लगता है क्योंकि इस तरह के लोन सरकारी बैंकों द्वारा ही प्रदान करती है सरकार।

पिछली सरकार में बहुत सारे लोन ऐसे बाँटे गए जिनके कारण बैंकिंग सिस्टम ध्वस्त होने की कगार पर आ गया, क्योंकि ज़्यादातर लोन सरकारी लोगों ने दवाब बनाकर ऐसी परिस्थितियों में भी दिलवाए जहाँ लोन लेने वाली कम्पनी या व्यक्ति लोन लेने के लिए काबिल नहीं था, इस तरह के लोन कोई सालों से बैंक छुपाकर बैठे थे इस उम्मीद में कि शायद पैसा वापस आ जाए।

फिर २०१४ में सरकार बदली और नियम बना कि यदि कोई व्यक्ति या कम्पनी तय EMI को तय समयसीमा के भीतर नहीं अदा करता तो उस लोन को NPA( नॉन पर्फोर्मिंग एसेट) घोषित करके लोन लेने वाले के ख़िलाफ़ कार्यवाही होगी, और तब से लेकर आज तक हर ३-४ महीने में एक नया NPA निकलकर आ रहा है और सरकारी बैंकों की हालत ख़राब हो चुकी है। इन घोटालों से SBI भी अछूता नहीं रहा है जिससे इस बैंक की लाभ अर्जन पर बुरा प्रभाव पड़ा है।

सरकारी बैंकों में लगातार घोटाले निकल कर आने के कारण निवेशक घबराने लगे हैं सरकारी बैंकों के शेयर ख़रीदने में, क्योंकि पता नहीं लगता है कि कब कहाँ से कोई नया घोटाला निकल आए और शेयर की क़ीमत अचानक से गिर जाए।

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