एक समय में किसान कार्ड से पाच साल में पैसे दोगुने हो जाते थे, अब इतने समय में नहीं हो पाते, ऐसा क्यों?

किसान कार्ड नहीं किसान विकास पत्र खरीदने से पैसे पाँच साल में दुगुने हो जाते थे। 1988 में इसे लांच किया गया था। काँग्रेसी शासन में डबल डिजिट मुद्रास्फीति पैसे के मूल्य को कम कर रही थी। कालेबाजारियों और काँग्रेसी नेताओं ने अपने पैसे को मुद्रास्फीति से बचाने के लिए इस स्कीम का इजाद किया।

बिना परिचय बिना किसी सीमा के इसमें निवेश किया जा सकता था। तब तक भारत सरकार का दिवाला पिट चुका था। करीब करीब दिवालिया हो चुके भारत में कालेबाजारियों ने अपने पैसे सुरक्षित कर लिए। किसानों के नाम पर बनी इस बचत योजना का लाभ कोई किसान नहीं उठा सका। अटल बिहारी वाजपेयी मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर 5% के नीचे ले आये तो इस लूट की भयानकता का आभास हुआ।

इसको नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट के साथ मिला दिया गया। 2000 तक इससे छह साल में 1.6 गुना रकम मिलती थी। 2010 में इस स्कीम को, इसमें कालेधन की अंधाधुंध निवेश के कारण ,खत्म कर दिया गया। इसे पुनः काँग्रेस सरकार लेकर आई 2014 में जहाँ नियमों में बदलाव कर परिचय देकर आप निवेश कर सकते हैं। आज यानी 01 अप्रैल 2020 के बाद ब्याज दर रहेगी 6.9% । 124 महीने में निवेश की गई धनराशि का दुगना प्राप्त किया जा सकता है।

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