एक राजा और अमीर शहजादे की कहानी

एक नगर में एक राजा और एक अमीर शहजादा रहता था। 1 दिन आमिर शहजादे ने राजा के महल के ठीक सामने अपना एक महल तैयार किया और उसके ऊपर लिखवा दिया कि पैसा ही सब कुछ होता है यह महल राजा के महल से अधिक सुंदर था अरे जब राजा ने उस
महल के ऊपर लिखे हुए शब्दों को पढ़के कि पैसा ही सब कुछ होता है उस शहजादे को अपने महल में बुलाने का आदेश दिया। जैसे ही शहजादा राजा के सामने आए हैं राजा ने उससे कहा कि तुम्हारे महल के सामने तो मेरा महल एक गरीब की कुटिया लगता है।

शहजादे ने सोचा कि राजा को मेरा महल पसंद नहीं आया और कहीं यह मुझसे गुस्सा ना हो जाए यह सोचकर वह राजा से बोला कि यदि आपको यह महल पसंद ना हो तो मैं इसे तुड़वा सकता हूं। राजा बोला ऐसी कोई बात नहीं है मुझे तुम्हारा महल पसंद है। पर जो तुम्हारे महल के ऊपर लिखा हुआ है कि पैसा ही सब कुछ है इसका क्या मतलब क्या तुम पैसे से मुझे भी मरवा सकते हो मेरा भी कत्ल करवा सकते हो।

अब शहजादे ने सोचा की अब अब तो मैं फस गया तब वह राजा से बोला कि मुझे माफ कर दो मैं यह महल मैं मिटवा दूंगा। तब राजा बोला नहीं जय महल ऐसा ही बना रहेगा पर तुम्हें सिद्ध करना होगा कि तुम पैसे से क्या कर सकते हो। यदि पैसा ही सब कुछ है तो तुम्हें मेरी बेटी से मुलाकात करनी होगी और कुछ बातें करनी होगी। राजा की बेटी बहुत सारे सैनिकों की सुरक्षा में रहती थी और वह महल की चारदीवारी में जहां उसको कोई देख भी नहीं सकता था सुरक्षित थी ऐसे में शहजादे का उससे मिलना मुश्किल था। राजा ने शहजादे से कहा कि यदि तुम मेरी बेटी से नहीं मिल पाए और उससे बातें नहीं कर पाए तो मैं तुम्हारा सर कटवा दूंगा और यदि तुम मेरी बेटी से मिल सके अपने पैसे के बल पर तो मैं अपनी बेटी से तुम्हारी शादी करवा दूंगा। सबसे ज्यादा दिन रात परेशान रहने लगा। उसके परेशानी को देखकर उसकी दादी उससे बोली की क्या बात है

तुम परेशान क्यों रहते हो तब तब उसने राजा और उसके बीच में हुई पूरी कहानी अपनी दादी को बताई दादी ने कहा चिंता मत करो और दूसरे ही क्षण दादी ने एक सुनार को बुलाया और उस सुनार से एक बहुत बड़ी हंस बनाने को कहा जो अंदर से खोखला हो इसके बदले दादी ने उसे बहुत सारी सोने की अशर्फियां दी जैसे ही उनसे बनकर तैयार हो गई दादी ने शहजादे को उसके अंदर बिठाकर वायलिन बजाने को कहा और उसने दादी ने हंस को गांव में घुमाना शुरू कर दिया पूरा गांव हंस को देखने के लिए उमड़ पड़ा राजा की बेटी भी उसे देखने की जिद करने लगी उसकी जिद को मानकर राजा ने उस बूढ़ी औरत को बेटी के पास भेजा और जैसे ही बेटी के पास हंस गया उसके कमरे में।

तो वैसे ही सहजादा हंश से बाहर निकल आया और उसकी बेटी से बातें की। अगले दिन जब राजा ने उस शहजादे से पूछा कि क्या हुआ तुमने अपने पैसे से क्या मेरी बेटी से बात कर पाए तब शहजादा बोला हां आप अपनी बेटी से पूछ सकते हैं तब उसके बेटे ने उसे पूरी कहानी बताई बातें करने की इस तरह राजा ने उससे कहा कि तुम्हारे पास पैसे के साथ-साथ बुद्धि भी है इस प्रकार मैं अपनी बेटी की शादी तुम्हारे साथ करता हूं।

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