एक गरीब पिता और उसके दो बेटे कहानी

 रामदिन एक मेहनत मजदूरी करने वाला गरीब व्यक्ति था। किसी तरह से दिनभर की मेहनत मजदूरी करके बेचारा अपने बच्चों का पेट पालता था। इसी तरह से रामदिन मेहनत करता रहा लेकिन इसी गरीबी ने उसके बच्चों का बचपन भी छीन लिया क्योंकि वह इसी वजह से स्कूलो में नहीं जा सके उन्होंने तो कभी स्कूल होता कैसा है देखा ही नहीं। क्योंकि रामदिन जब मेहनत मजदूरी करने घर से निकलता तो यही बच्चे उसके लिए खाना बनाते थे। जिंदगी की भागदौड़ में बेचारा खुद का एक मकान भी नहीं बना सका था। अब उसके दोनों बच्चे जवान हो गये थे।

 इधर रामदिन भी अब पहले की तरह मेहनत नहीं कर पाता था। एक दिन उसके पेट में तेज दर्द हुआ डाक्टर के  पास जाने पर उसे मालूम हुआ की वह कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है और अब वह कुछ महीनों का मेहमान है। यह बात रामदिन ने अपने बेटों से छुपाई। समय गुजरता गया और उसी के साथ रामदिन के जिंदगी के दिन में आखिरकार वह समय भी आ गया यह उसके लिए आखिर महिना साबित होने वाला था। अब उसने सोचा किसी तरह से मेरे बच्चों को मालूम हो ही जाये क्योंकि आजकल के अंदर ही मैं मर सकता हूं। इसलिए रामदिन ने अपने बच्चों को पास बुलाया बड़े प्यार से दोनों के सर पर हाथ फेरा।

रामदिन के दोनों बच्चे हैरान थे की पिताजी ने आखिर हमें बुलाकर बैठाया क्यो‌ है। रामदिन‌ ने हकलाते स्वर में कहना शुरू किया कल को बेटा मैं रहूं न रहूं कोई भरोसा नहीं और बेटों के बाप अपने बच्चों के लिये घर जमीन जायदाद पैसा वगैरह देकर जाते हैं अंतिम समय में लेकिन मैं बिल्कुल कंगाल हूं मैं तुम दोनों को सिवाय दुख तकलीफ और परेशानियों के कुछ नहीं दे सकता मेरे बच्चों मुझे माफ़ कर देना क्योंकि मुझे कैंसर है और मै अब कुछ दो या चार दिन का ही मेहमान हूं।

 इतना कहकर रामदिन अपने दोनों बेटों से लिपटकर रोने लगा। चौथे दिन ही रामदिन की मृत्यु हो गई और उसका अंतिम संस्कार हुआ। कुछ दिन बाद दोनों भाई घर में बैठकर आपस में बातें कर रहे थे। यार हम किस्मत वाले थे जो इतना प्यार करने वाला इतना ख्याल रखने वाला हमें बाप मिला खुद तो बेचारा भूखा सोता लेकिन हमारा पेट जरूर भरता था। उन्होंने कहा था की मैं तुम लोगों को दुसरो की तरह धन दौलत जायदाद नहीं दे सका लेकिन मेरा मानना है की आज हमारे जीवन की सबसे कीमती चीज हमसे आज दूर है जो धन दौलत जायदाद जमीन से भी बढ़कर थी इसी तरह बातें करते करते दोनों सो गये और अगले दिन एक नये सुबह के साथ अपने काम लग गये।

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