इनकी तपस्या से भगवान शिव लिया हनुमान का अवतार

यह बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान शिव ने कुल 12 अवतार लिए हैं, जिनमें से एक अवतार उनका हनुमान का भी है।

शास्त्रों की मानें तो हनुमान के जन्म की दो तिथि का उल्लेख किया गया है। पहला भगवान शिव का अवतार है, क्योंकि रामभक्त हनुमान की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और पुत्र के रूप में वरदान मांगा था। ऐसे में भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुन ली और फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को रामभक्त हनुमानजी का जन्म हुआ।

पौराणिक कथा

वहीं पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में जन्म लिया था। भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की मदद के लिए सभी देवता अलग-अलग रूप में अवतार लेकर पहुंचे थे।

भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं हनुमान –

यह वह समय था जब भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार ले लिया था और इसके पीछे वजह थी कि उनको भगवान विष्णु से वरदान मिला था जो दास्य का था। हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार मानें जाते हैं। भगवान भोलेनाथ ने अपने इस रूप में राम की सेवा की और साथ ही रावण वध में उनकी मदद भी की थी।

शिव स्वरूप सूर्य

भगवान शिव अपने इस खास स्वरूप के ज़रिए पूरी सृष्टि का भरण-पोषण करते हैं और इसी स्वरूप द्वारा परमात्मा ने अपने ओज व उष्णता की शक्ति से सभी ग्रहों को एक जगह एकत्रित भी कर रखा है। बता दें कि परमात्मा का यह स्वरूप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है, क्योंकि हमारी पूरी सृष्टि का आधार इसी स्वरूप पर ही तो टिका हुआ है।

शिव स्वरूप शंकर जी –

दरअसल, बीते हुए इतिहास में सतयुग से कलयुग तक… एक ही मानव शरीर ऐसा है जिसके ललाट पर ज्योति विराजमान है। गौरतलब है कि इसी स्वरूप द्वारा जीवन व्यतीत कर परमात्मा ने मानव को वेदों का ज्ञान प्रदान किया है, जो मानव के लिए बहुत ही कल्याणकारी साबित हुआ है।

वेदो शिवम शिवो वेदम।।

ध्यान रहें कि परमात्मा शिव के इसी स्वरूप के ज़रिए हमारे मानव शरीर को रुद्र से शिव बनने का ज्ञान प्राप्त होता है।

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