आपको पुनर्जन्म का अवसर मिले तो आप भारत के किस राज्य में जन्म लेना चाहेंगे ?

पुनर्जन्म का अवसर मिले तो हम(बिहारी लोग मैं की जगह हम का इस्तेमाल करते हैं इससे एक अलग ही जुड़ाव और आत्मीयता का एहसास होता है) भारत के सबसे अनूठे गौरवशाली राज्य बिहार के वैशाली जिले में ही पुन: जन्म लेना चाहेंगे।

जिले के बारे में

महाभारत काल से ही वैशाली को इतिहास का पता चलता है। वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र यानि “रिपब्लिक” कायम किया गया था। वैशाली के कई संदर्भ जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में पाए जाते हैं, जिसमे वैशाली और अन्य महाजनपदों के बारे में जिक्र है। इन ग्रंथों में मिली जानकारी के आधार पर, वैशाली को गणराज्य के रूप में 6 वीं शताब्दी ई.पू. तक गौतम बुद्ध के जन्म से पहले 563 में स्थापित किया गया था, जिससे यह विश्व का पहला गणतंत्र बना। पिछले जैन “तीर्थंकारा” भगवान महावीर के जन्मस्थान होने के नाते, वैशाली को इतिहास में एक विशेष स्थान दिया गया था।

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने अपना आखिरी उपदेश दिया और इस पवित्र भूमि पर अपनी पारिनीवणा (ज्ञान की प्राप्ति) की घोषणा की। यह अम्बपाली(आम्रपाली) की भूमि के रूप में भी प्रशिद्ध है, जो एक महान नृत्यांगना थी। यह माना जाता है कि जिला को राजा विशाल से अपना नाम मिला है। हालांकि, इतिहास के अनुसार पाटलीपुत्र गंगा के मैदानी इलाकों में राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र था, वैशाली गंगा के केंद्र के रूप में अस्तित्व में आया, यह वाजजी गणराज्य की सीट थी।

वैशाली को प्रतिनिधियों की एक विधिवत चुने विधानसभा और कुशल प्रशासन के लिए विश्व का पहला गणराज्य होने का श्रेय दिया जाता है। 12-10-19 72 जिले को स्वतंत्र जिले का दर्जा प्राप्त हुआ, इससे पहले यह पुराने मुजफ्फरपुर जिले का हिस्सा था। हाजीपुर, वैशाली के जिला मुख्यालय का नाम हाजी इलियास शाह (1345 से 1358 ईस्वी) नामक बंगाल के राजा के नाम पर रखा गया था, जिसने इसे स्थापित किया था। उन्होंने हाजीपुर में एक किला बनाया, जिसमें मस्जिद के साथ जामी मस्जिद नामक एक इमारत थी जिसे 84.5 फुट (25.8 मीटर) लंबा और 33.5 फीट (10.2 मीटर) चौड़ा, जिसे प्राचीन काल में उक्ककाला कहा जाता था।

कारणों का उल्लेख निम्नलिखित है –

  1. बिहार के ऐतिहासिक नगर वैशाली को दुनिया का पहला गणतंत्र माना जाता है।

इस ऐतिहासिक नगर का उल्लेख महाभारत में भी है। साथ ही जैन और बौद्ध धर्म में भी इस नगर का खास स्थान हैं।

विश्व शांति स्तूप वैशाली

2. दूसरा सबसे बड़ा कारण जीवनदायनी गंगा नदी – हमारे घर से मात्र 300–350 मीटर दूर गंगा नदी बहती है। बचपन में नदी में जाकर ढेरों शैतानियां की। दो दो घंटे तक नदी में नहाते रहते थे कभी सर्दी ना लगी। आज कल के बच्चे थोड़ी सी ठंडी पानी से क्या नहा लें सर्दी जुकाम सब हो जाए।

3. तीसरा कारण जो सबसे प्रिय है वो है महापर्व छठ – बिहारी संस्कृति की पहचान है छठ पूजा। इस व्रत में सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जो प्रत्‍यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं।

दर्शनीय स्थल

  • अशोक स्‍तम्भ:- वैशाली में हुए महात्‍मा बुद्ध के अंतिम उपदेश की याद में सम्राट अशोक ने नगर के समीप कोल्‍हुआ में लाल बलुआ पत्‍थर के एकाश्म सिंह-स्‍तंभ की स्‍थापना की थी। लगभग 18.3 मीटर ऊँचे इस स्‍तम्भ के ऊपर घंटी के आकार की बनावट है जो इसको आकर्षक बनाता है।
  • बौद्ध स्‍तूप:- दूसरे बौद्ध परिषद की याद में यहाँ पर दो बौद्ध स्‍तूपों का निर्माण किया गया था। पहले तथा दूसरे स्‍तूप में भगवान बुद्ध की अस्थियाँ मिली है। यह स्‍थान बौद्ध अनुयायियों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • अभिषेक पुष्‍करणी:- वैशाली में नव निर्वाचित शासक को इस सरोवर में स्‍नान के पश्चात अपने पद, गोपनीयता और गणराज्‍य के प्रति निष्ठा की शपथ दिलायी जाती थी। इसी के नजदीक लिच्‍छवी स्‍तूप तथा विश्व शांति स्तूप स्थित है।
  • राजा विशाल का गढ़:-लगभग एक किलोमीटर परिधि के चारों तरफ दो मीटर ऊँची दीवार है जिसके चारों तरफ 43 मीटर चौड़ी खाई थी। समझा जाता है कि यह महल राजा विशाल का राजमहल या लिच्छ्वी काल का संसद है।
  • कुण्‍डलपुर:- यह जगह जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्‍मस्‍थान होने के कारण काफी पवित्र माना जाता है। वैशाली से इसकी दूरी 4 किलोमीटर के आसपास है। यहीं बसाढ गाँव में प्राकृत जैन शास्त्र एवं अहिंसा संस्थान भी स्थित है।
  • वैशाली महोत्सव:- प्रतिवर्ष वैशाली महोत्सव का आयोजन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर के जन्म दिवस पर बैसाख पूर्णिमा को किया जाता है। अप्रैल के मध्य में आयोजित होनेवाले इस राजकीय उत्सव में देशभर के संगीत और कलाप्रेमी हिस्सा लेते हैं।

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