आजकल जो LED लाइट हम घरों में उपयोग करते हैं वह अन्य लाईटों से किस प्रकार भिन्न है? क्या इन लाइटों से भी हमें नुकसान होता है? जानिए

आजकल आप टीवी पर एल. ई. डी. बल्ब के विज्ञापन देख रहे होंगे, ये बल्ब बहुत कम बिजली में ज्यादा रौशनी प्रदान करते है, पुराने समय वाले बल्ब ज्यादा पावर लेते थे और गर्मी बढ़ाते हुए पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते थे। हानिकारक केमिकल भरा होने से गंभीर रोग होने की संभावना थी।

इसे Light-emitting diode भी कहा जाता है. ये एक ऐसा semiconductor device है जो की light emit करता है जब इससे current या electricity pass होती है. यहाँ पर light तभी produce होती है जब भीतर स्तिथ particles (जो की हैं electrons और holes) एक दुसरे के साथ combine होते हैं इसी semiconductor material में.

चूँकि यहाँ पर light solid semiconductor material से ही generate होता है इसलिए इसे solid-state devices भी कहा जाता है.

एल. ई. डी. रौशनी के वैज्ञानिकों को वर्ष २०१४ का नोबेल पुरुस्कार भी मिला है |

एल. ई. डी. बल्ब से पहले हम सी.ऍफ़.एल. बल्ब का प्रयोग कर रहे थे, लेकिन उस बल्ब का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि उसमे मरक्युरी/ पारे का प्रयोग किया गया है, जो की स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है और बल्ब के टूटने के स्थिति में हानिकारक साबित हो सकता है |

एल. ई. डी. बल्ब के निम्न लाभ है

  1. ज्यादा चलेंगे : एल. ई. डी. बल्ब लम्बे समय तक चलते है|
  2. कम बिजली खपत : ये बल्ब बहुत कम बिजली में ज्यादा रोशनी देते है इसलिए बिजली के बिल में काफी बचत करेंगे|
  3. सुरक्षित : इन बल्ब में कोई विषैला और हानिकारक पदार्थ नहीं है, ये हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है|
  4. अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन नहीं : इन बल्ब की रौशनी में न के बराबर अल्ट्रा-वायलेट रेडिएशन होती है|
  5. रौशनी पर नियंत्रण : एल. ई. डी. बल्ब की रौशनी को आप कम-ज्यादा भी कर सकते है|
  6. हर मौसम के लिए फिट : ये बल्ब किसी भी तापमान और मौसम में बेहतर काम कर लेते है|
  7. तुरंत ऑन-ऑफ : ये बल्ब ऑन और ऑफ तुरंत होते है और ज्यादा ऑन-ऑफ करने से इनके जीवनकाल में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता|

कम वोल्टेज की आवश्यकता : ये बल्ब कम वोल्टेज में भी काम करते है, बेहतर काम करते है|

LED के नुकसान :- तथाकथित पयार्वरण अनुकूल एलईडी लाइटें आपकी आंखों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं. इस संबंध में किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि लाइट एमिटिंग डायोड (एलईडी) लाइटें इंसान की आंखों के रेटिना को ऐसा नुकसान पहुंचा सकती हैं जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकेगी.

एलईडी किरणों में लगातार रहने से यदि एक बार रेटिना की कोशिकाओं को नुकसान पहुंच जाए तो उन्हें ठीक नहीं किया जा सकता. थिंकस्पेन डाट काम ने यह खबर दी है.

कम्प्यूटर, मोबाइल, टीवी स्क्रीन और ट्रैफिक लाइटों के अंतत: एलईडी लाइटों में बदलने को देखते हुए आने वाले समय में एलईडी से होने वाले विकिरण के कारण विश्व स्तर पर आंखों की बीमारी एक महामारी का रूप ले सकती है.

विशेषज्ञों का कहना है कि नीली रोशनी की चमक को कम करने के लिए उपकरणों में फिल्टर लगाए जाने की जरूरत है. मैड्रिड के कम्पल्यूटेंस यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता डा. सेलिया सांचेज रामोस कहती हैं कि इंसानों की आंखें साल में करीब छह हजार घंटे खुली रहती हैं और अधिकतर समय वे कृत्रिम प्रकाश का सामना करती हैं. इसलिए रामोस कहती हैं कि इस नुकसान से बचने का सर्वश्रेष्ठ तरीका यही है कि दुष्प्रभाव को कम करने के लिए थोड़े थोड़े समय बाद अपनी आंखों को बंद करें.

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