आग की लपटें हमेशा ऊपर ही क्यों जाती है,जानिए वजह

जब भी आप किसी माचिस या मोमबत्ती को जलाते हैं तो उसका स्रोत ‘रेड़ फ़ास्फ़रोस’ हवा में उपस्थित ‘ऑक्सीजन’ के साथ मिलकर जलता है उसके आस पास का पूरा छेत्र गरम हो जाता है और गरम वस्तु का घनत्व अधिक नहीं होता जिस कारण वहाँ उपस्थित वायु हलकी हो जाती है, हलकी होने के कारण गरम वायु ऊपर उठती है और उस छेत्र में दाब कम हो जाता है। चूँकि गरम हवा के आस पास ठंडी हवा भी होती है उसका दाब और वजन ज्यादा होता है।

ये नियम है ही जहाँ दाब ज्यादा होगा वहां से वायु कम दाब वाले छेत्र की ओर जाती है इसलिए ठंडी वायु उस छेत्र की ओर गति करती है और उसे नीचे लता है गुरुत्वाकर्षण बल।

अब कई लोग सोचते हैं कि हवा के ऊपर जाने से रोशिनी का क्या लेना-देना आग का तो वजन नहीं होता पर बंधु सम्बन्ध है। आग कोई वास्तविक वास्तु नहीं है जब आपने माचिस को जलाया तो वास्तव में आपने ‘रेड फॉस्फोरस’ के अणुओं को घर्षण द्वारा ऊर्जा दी, इस ऊर्जा से उसके ‘इलेक्ट्रान’ अणु से दूर भागने लगे। (यदि में आपको पैसे दूँ तो आप भी कुछ खर्च करने के लिए घर से भागेंगे)

लेकिन इससे अणु को हानि होती है तब उसका प्रिय मित्र ‘ऑक्सीजन’ उसे अपने ‘इलेक्ट्रान’ देने लगता है और दूसरे इलेक्ट्रॉन्स को पकड़ लेता है इससे ‘ऑक्सीजन’ और ‘रेड फॉस्फोरस’ के बीच एक बन्ध बन जाता है और इस बन्ध के बनने से वे ऊर्जा को वातावरण में छोड़ देते है (कभी कभी ऊर्जा देनी भी पड़ती है, यह रसायन विज्ञानं और ‘Quantum Mechanics’ की बातें हैं यहाँ नहीं लिख रहे), इसी ऊर्जा को आस पास के पार्टिकल ग्रहण करके प्रकाश देते हैं।

चूँकि हवा ऊपर जा रही है इसलिए अणु नहीं ऊपर जा रहे हैं बन्ध भी ऊपर बन रहा है इसलिए ऊर्जा भी ऊपर की ओर जाते हुए निकल रही है और इसी कारण प्रकाश भी ऊपर जाता हुआ दिख रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *