आखिर बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को क्यों नष्ट कर दिया था? जानिए

जब खिलजी बीमार पड़ा तो उसके हकीमों ने उसका बहुत इलाज करा मगर वो उसे ठीक नहीं कर पाये। उस समय नालंदा विश्वविध्यालय के आयुर्वेद प्रमुख थे राहुल श्रीभद्र जो प्रख्यात चिकित्सक थे। किसी ने खिलजी को बताया की यदि आप उन से इलाज कराएं तो वो आप को ठीक कर सकते हैं।

खिलजी को यकीन नहीं था की उसके हकीमों से बढ़कर भी कोई हो सकता है। मगर मरता क्या ना करता उसे राहुल श्रीभद्र जी से अपना इलाज करवाना पड़ा। उसने शर्त रखी की वे कोई हिन्दुस्तानी दवा का इस्तेमाल नहीं करेंगे और यदि उनकी दवा से खिलजी ठीक नहीं हुआ तो वो राहुल श्रीभद्र जी को मौत के घाट उतार देगा।

राहुल जी ने उसे एक कुरान दी और कहा की आप को इसके इतने पन्ने रोज पढ़ने हैं। उन्होने पन्नों पर दवाई लगा दी थी। खिलजी जब पन्ने पलटने के लिए अपनी उंगली पीआर मुह से थूक लगाता था तो दवा उसके मुंह के रास्ते पेट मे जाने लगी और खिलजी ठीक हो गया।

उस अहसान फरामोश को ये बात बड़ी बुरी लगी की उसके हकीमों से बढ़कर हिन्दू वैध्य हैं। उसने जलन के कारण नालंदा के पूरे पुस्तकालया मे आग लगवा दी जिस से यहाँ की आयुर्वेद खतम हो जाये।

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