आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में भारतीय टीम पर पड़ सकता है बड़ा प्रभाव, जानिए इसका कारण

आइसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के अंक प्रणाली में हुए नए बदलाव का भारतीय क्रिकेट टीम पर खराब असर पड़ सकता है। पहले की प्रणाली की माने। तो पूरे नहीं हो सके मैच में दोनों टीम अंक बांटती थी। 

लेकिन अब नए अंक प्रणाली में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल सबसे ज्यादा मैच खेले जानी वाली टीम का होगा। यही वजह है कि अब टीम इंडिया अंक तालिका में दूसरे नंबर पर खिसककर आ गई है।

आईसीसी की तरफ से जब से टेस्ट चैंपियनशिप का सर्किल शुरू हुआ है। भारतीय टीम ने 4 में से 3 टेस्ट सीरीज जीती हैं। भारतीय टीम 360 अंक लेकर शीर्ष पर थी। जबकि उन्हें अभी दो टेस्ट सीरीज और खेलनी थी। 

लेकिन अब भारतीय टीम नियम बदलने के बाद अगले वर्ष जून में होने वाले टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में प्रवेश करने से चूक सकती है।

भारत को चार टेस्ट ऑस्ट्रेलिया में और चार टेस्ट इंग्लैंड के खिलाफ भारत में खेलने है। अगर भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में सीरीज नहीं जीतती हैइं तो उनके फाइनल में पहुंचने की संभावना कम हो जाएगी। जबकि अब से पहले तक भारतीय टीम फाइनल खेलने के लिए सबसे प्रमुख दावेदारों में थी।

भारत और बीसीसीआई का समर्थन करने वालों ने कहा कि आगे क्या होगा। यह कहना मुश्किल है। लेकिन दो वर्ष की सर्किल के बीच में ही नियमों का बदलाव करना गलत है। भारतीय क्रिकेट से जुड़े लोग अपने ही लोगों को इसका दोष दे रहे हैं। जिन्होंने कमेटी और बोर्ड का हिस्सा रहते इन बदलावों को हरी झंडी दी।

पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले आइसीसी क्रिकेट समिति के चेयरमैन हैं। समिति ने ही इस बदलाव का प्रस्ताव रखा था। वहीं पूर्व भारतीय कप्तान और नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के निदेशक राहुल द्रविड़ भी इस समिति के सदस्य हैं। 

पूर्व भारतीय कप्तान और अब बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली आइसीसी बोर्ड में भारत के प्रतिनिधित्वकर्ता हैं। जिन्होंने इन बदलावों का प्रस्ताव रखा।

भारतीय क्रिकेट से जुड़े लोगों ने कहा कि चैंपियनशिप के बीच में नियम बदलने की क्या जरूरत थी। नियमों को बदलने की चाहे। जो वजह रही हो। आप टूर्नामेंट के बीच में नियम कैसे बदल सकते हो या क्यों नहीं। अगले टूर्नामेंट में इन नियमों को लागू किया जाता। 

वहीं, समिति से जुड़ें लोगों ने कहा कि फाइनल का कार्यक्रम बदला नहीं जा सकता था, क्योंकि अगर यह होता तो अगली दो चैंपियनशिप का कार्यक्रम भी इससे प्रभावित हो जाता। 

अगर यही मामला है कि कार्यक्रम बदला नहीं जा सकता था। तो नियम अब बदलने की क्या जरूरत थी। इन बदलावों पर नजर रखने वालों ने कहा कि अगर कोई टीम दो वर्ष की सर्किल में अपनी रणनीतियों पर काम कर रही होती है। 

आइसीसी बोर्ड ने सही प्रक्रिया अपनाई है। लेकिन जो इन बदलावों का समर्थन नहीं करते। उनका कहना है कि एक भारतीय के नेतृत्व वाली क्रिकेट समिति ने इस पर ज्यादा विचार नहीं किया।

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