अहिरावण और महिरावण कौन थे? जानिए उसके बारे में
अहिरावण का वर्णन तो स्पष्ट रूप से धार्मिक ग्रन्थों मे मिलता है पर महि रावण का नाम का वर्णन नहीं मिलता ।मेरे विचार से अहिरावण तथा महिरावण एक ही व्यक्ति के नाम होसकते हैं,या इनका कोई भाई जिसका ग्रन्थों मे वर्णन नहीं है।
अहिरावण एक असुर था। अहिरावण पाताल में स्थित रावण का मित्र था जिसने युद्ध के दौरान रावण के कहने से आकाश मार्ग से राम के शिविर में उतरकर राम-लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था।
जब अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को देवी के समक्ष बलि चढ़ाने के लिए विभीषण के भेष में राम के शिविर में घुसकर अपनी माया के बल पर पाताल ले आया था, तब श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के लिए हनुमानजी पाताल लोक पहुंचे और वहां उनकी भेंट उनके ही पुत्र मकरध्वज से हुई। उनको मकरध्वज के साथ लड़ाई लड़ना पड़ी, क्योंकि मकरध्वज अहिरावण का द्वारपाल था।
मकरध्वज ने कहा- अहिरावण का अंत करना है तो इन 5 दीपकों को एकसाथ एक ही समय में बुझाना होगा। यह रहस्य ज्ञात होते ही हनुमानजी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण किया। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरूड़ मुख, आकाश की ओर हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इन 5 मुखों को धारण कर उन्होंने एकसाथ सारे दीपकों को बुझाकर अहिरावण का अंत किया और श्रीराम-लक्ष्मण को मुक्त किया।
हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का राजा नियुक्त करते हुए उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।