अलकनंदा नदी कहाँ स्थित है ? जानिए

उत्तराखंड में बहती है. इसका उदगम बद्रीनाथ के निकट सतोपंथ ग्लेसियर से हिया है यह गंगोत्री ग्लेसियर का भाग है.

बद्रीनाथ से बहते हुए विष्णुप्रयाग तक इसमें अनेक छोटी ण्डी नाले मिलते है. विष्णुप्रयाग पांच प्रयाग में पहला है. जोशीमठ के निकट इसमें धोली गंगा मिल जाती है और विष्णुप्रयाग बनता है. अभी तपोवन आपदा इस धौलीगंगा ण्डी की सहायक ऋषि गंगा में अधिक पानी के ग्लेसियर फतबे से आई जिसमे 206 व्यक्ति लापता हो गए है और अभी उनकी खोज हो रही है.

अलकनंदा नदी पर प्रथम प्रयाग विष्णु प्रयाग. यहां पर धोली अलकनंदा में मिल कर अपना नाम खो देती है.

इसके बाद नंदप्रयाग में नंदाकिनी मिलती है, फिर कर्णप्रयाग में पिंडर नदी मिलती है. इस तरह ये दोनो क्रमशः दूसरे और तीसरे प्रयाग है.

रुद्रप्रयाग में केदार नाथ से निकलती हुयी मंदाकिनी ण्डी आकर अलकनंदा में मिलती है और चौथ प्रसिद्ध प्रयाग बनती है. आगे बहती हुयी श्रीनगर पर कर गंगोत्री से निकलती हियी भागीरथी आकर देवप्रयाग पर मिलकर दोनो अपना नाम खोकर नया नाम गंगा लेती है और आपस में एकरूपता का नया उदाहरण पेश करती है. यह पंचप्रयाग का पांचवा प्रयाग है और इस संगम पर रघुनाथ मंदिर बना है जिसमे राम जि के चरण है.

भागीरथी और अल्कानंदा की लम्बाई उदगम स्थल से देवप्रयाग तक क्रमशः 195 और 205 किलोमीटर है. बजागीरथी गोमुख से उत्तरकाशी जिले से निकलती है जबकि अल्कान्न्दा चमोली जिले के श्तोपंथ से. फोनो का उदगम गंगोत्री ग्लेसियर जो 25 किलोमीटर लम्बा है का भाग है.

गोमुख उत्तरकाशी उत्तराखंड

बजगीर्थी की सहायक नदिया केदार गंगा, जड़ गंगा जाह्नवी, असि गंगा,भिलंग्न आदि है जबकि अलकनंदा की उपरोक्त से अलग सहायक नदियां लक्समन गंगा, गरुर्ड गंगा, पाताल गंगा और सरस्वती है. गंगा नदी में पानी का अधिकतर हिस्सा अलकनंदा नदी का है. भागीरथी नदी पर टिहरी में पत्थर और मिट्टी का भारत का सबसे ऊँचा बांध बना है जबकि श्रीनगर में अलकनंदा नदी पर एक बांध गवक कम्पनी ने बनाया है.

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