अगर हाई वोल्टेज बिजली की तारों पर आसमानी बिजली गिर जाए तो क्या होगा?

आप “अगर” की बात कर रहे हैं, जबकि सच्चाई ये है कि हाई वोल्टेज तारों के ऊंचे टावरों पर अनगिनत बार बिजली गिरती है यहां तक कि छोटे LT पोलों पर भी कई बार बिजली गिरती है. लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कि खंबे और टावर सीधे जमीन में गाढ़े जाते हैं जिसके कारण तड़ित सीधे धरती में समा जाती है और साथ ही कुछ मात्रा ऊष्मा के रूप में परिवर्तित हो जाती है.

टावर पर बिजली गिरना और उसका ग्राउंड हो जाना एक सामान्य बात है लेकिन यदि बिजली वायर पर गिरती है तो आप जानते हैं कि तारों का नेटवर्क बहुत बड़ा होता है; जिस बिंदु के ऊपर तार पर बिजली गिरती है वहां से वह बिजली तारों से होते हुए सीधे टॉवर तक पहुंचती है और टावर पर लगे निरोधक इंसुलेटर की सहायता से उसका अधिकांश भाग टॉवर में चला जाता है और वहां से वह विद्युत धरती में समा जाती है. ये प्रक्रिया तार के उस बिंदु (जहां पर बिजली गिरी है) के दोनों ओर होती है, क्यूंकि तार पर बिजली गिरने के बाद वह दोनों ओर गति करती है.

और उसे धरती तक भेजने में टॉवर पर लगे सस्पेंशन इंसुलेटर बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि बिजली लाइव वायर अर्थात वोल्टेज कैरियर पर गिरी हो तो आसमानी बिजली के साथ साथ उस तार में बह रही बिजली भी इंसुलेटर और टॉवर के माध्यम से बड़ी मात्रा जमीन में समाने लगती है, ऐसा होने पर संबंधित टॉवर के निकटतम पावर सब स्टेशन में लगे हुए सर्किट ब्रेकर को आभास होता है कि कहीं पर शॉर्ट सर्किट हुआ है, और तुरंत ही सर्किट ब्रेकर द्वारा बिजली की सप्लाई काट दी जाती है. जैसे ही बिजली कटती है विद्युत का जमीन में समाना बंद हो जाता है;

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, आसमानी बिजली का गिरना, उसका तार के माध्यम से यात्रा करना, टॉवर के माध्यम से उसका जमीन में समाना, निकट के सबस्टेशन से सर्किट ब्रेकर द्वारा बिजली का काटा जाना ये सब एक ही सेकंड के बहुत छोटे हिस्से में संपन्न हो जाता है क्यूंकि बिजली लगभग प्रकाश की गति से यात्रा करती है.

कभी कभी यह बिजली सबस्टेशन के निकट ही तारों पर गिर जाती है ऐसी स्थिति में, उपरोक्त प्रक्रिया ही अपनाई जाती है और ये सब ऑटोमैटिक होता है, परन्तु कभी कभी बिजली सबस्टेशन के अंदर की मशीनों और वहां लगे बड़े बड़े ट्रांसफार्मर तक पहुंच सकती है ऐसी स्थिति से बचने के लिए सभी सबस्टेशनों पर तड़ित चालक लगाए जाते हैं, जैसे ही आसमानी बिजली सबस्टेशन तक पहुंचती है तड़ित चालक एक्टिव हो जाते हैं और तुरंत ही सभी मशीनों और ट्रांसफार्मर्स से बाहरी नेटवर्क काट दिया जाता है. आजकल तकनीक उन्नत हो चुकी है ऑटोमेटेड मैकेनिज्म के कारण बिजली कुछ ही सेकण्डों में रीस्टोर हो जाती है.

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