हींग का पौधा कैसा होता है? जानिए

देश में खेती को लेकर पहले कई प्रयोग किए जा चुके हैं और कई प्रयोगों में भारत को सफलता हासिल हो चुकी है. इसी के साथ देश को खेती की क्षेत्र में एक और सफलता हासिल हुई है. देश में पहली बार हींग की खेती में सफलता दिखाई दे रही है. भारत में अभी तक हींग की खेती संभव नहीं हो सकी थी या फिर यूं कहें की यहां एक ग्राम भी हींग की उत्पादन नहीं हो रहा था.

हींग की खपत हमारे देश में लगभग 40 प्रतिशत है. यह शायद थोड़ी अजीब भी है की जिस देश में हींग की खपत इतनी ज्यादा है उस देश में इसकी खेती नहीं होती और इसे दूसरे देश से आयात करना पड़ता है. वहीं हींग का बाजार भाव 35,000 रुपए प्रति किलो ग्राम है.

इन देशों में होती है हींग की खेती

हींग एक सौंफ प्रजाति का पौधा है और इसकी लम्बाई 1 से 1.5 मीटर तक होती है. इसकी खेती जिन देशों में प्रमुख तौर पर होती हैं वो है अफगानिस्तान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान और ब्लूचिस्तान.

कब और कहां कर सकते हैं हींग की खेती

हींग की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है. भारत में यह तापमान पहाड़ी क्षेत्रों में होता है और इन क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती है. अन्य शब्दों में कहें तो इसकी खेती के लिए न ज्यादा ठण्ड और न ही ज्यादा गर्मी की आवश्यक्ता होती है.

महत्वपूर्ण जानकारी

हींग की खेती के लिए ऐसी जमीन उपयुक्त मानी जाती है जिसमें रेत, मिठ्ठी के ठेले व चिकनी अधिक हो. इसके साथ ही सूरज की धूप सीधे उस जगह पड़नी चाहिए जहां इसकी खेती की जा रही है. जहां छाया पड़ती हो वहां पर इसे नहीं उगाया जा सकता है. पौधों के बीच में 5 फीट की दूरी का होना आवश्यक है.

हींग की खेती की प्रकिया

हींग के बीज को पहले ग्रीन हाऊस में 2-2 फीट की दूरी से बोया जाता है. पौध निकलने पर इसे फिर 5-5 फीट की दूरी पर लगाया जाता है. हाथ लगाकर जमीन की नमी को देख कर ही इसमें पानी का छिड़काव किया जा सकता है, अधिक पानी पौधे को नुकसान पहुंचा सकता है.

पौधों को नमी के लिए गीली घास का भी प्रयोग किया जा सकता है, एक खास बात यह है कि हींग पौधे को पेड़ बनने के लिए 5 वर्ष का समय लगता है. इसकी जड़ों व सीधे तनों से गौंद निकाला जाता है.

हींग के प्रकार और कुछ अन्य जानकारी

हींग मुख्य: दो प्रकार की होती हैं दुधिया सफेद जिसे काबूली सुफाइद बोला जाता है और दूसरी लाल हींग. सल्फर के मौजूद होने के कारण इसकी गंध बहुत तीखी होती है. इसके भी तीन रूप होते है टिमर्स, मास और पेस्ट. यह गोल, पतला राल शुद्ध रूप में होता है जोकि 30 मि.मि. का होता है यह भूरा और फीका पीला होता है. सफेद व पीला पानी में घुलनशील है. जबकि गहरे व काले रंग वाला तेल में ही घुलता है, स्टार्च व गोंद मिला कर ईट के रूप में बेचा जाता है.

भारत में कहां हो रही है हींग की खेती ?

भारत में हींग की खेती की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति से हुई है. इंडियन कॉफी बोर्ड के सदस्य डॉ.विक्रम शर्मा और हिमाचल सरकार के वजह से संभव हो पाया है. डॉ. शर्मा ने इसके बीज को इरान और तुर्की से मंगाकर यहां इसकी बीज से पौध तैयार की है.

इसके साथ ही पहांड़ी इलाकों में रह रहे किसानों के लिए अच्छी खबर यह है की वहां के किसान आसानी से हींग की खेती कर सकते हैं. भारत में अभी तक हींग की खेती संभव नहीं हो सकी थी या फिर यूं कहें की यहां एक ग्राम भी हींग की उत्पादन नहीं हो रहा है।

हींग उत्पाद वो है भारतीय विदेशी पूंजी भंडार में सेंध डाल रहा है। उत्पादन हो सकने के बावजूद भी ये विदेशी मुद्रा देकर खरीदा जाता हो। बेरोजगार किसानों को उससे लाभ हो सकता है।

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के पास पहाड़ी इलाके में हींग की खेती की शुरू हो गई है।

इसके साथ ही वह राज्य के सोलन, लाहौल-स्फीति, सिरमौर, कुल्लू, मंडी और चंबा में भी हींग की खेती की शुरुआत हो गई है।

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