स्नान करते समय बोलते हैं ये मन्त्र तो आपको भी मिलेगा तीर्थ स्नान के बराबर फल

भारत अनादि काल से संस्कृति, आस्था, आस्तिकता और धर्म का महादेश रहा है। इसके हर भाग और प्रान्त में विभिन्न देवी देवताओ से सम्बद्ध धार्मिक स्थान (तीर्थ) हैं, जिनकी यात्रा के प्रति एक आम भारतीय नागरिक, पर्यटक और धर्म अध्यात्म दोनों ही आकर्षणों से बंधा इन तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए सदैव से तत्पर रहते है और ऐसी मान्यता है की तीर्थ स्थलों पर देवी देवताओ का वास होता है इसलिए तीर्थ स्थलों पर जाकर स्नान करने से और पूजा पाठ करने से मनुष्य को सारे पाप से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

आज हम आपको एक ऐसा मंत्र बताने वाले है जिसके उच्चारण मात्र से आप घर पे स्नान करके ही तीर्थ स्नान के बराबर फल की प्राप्ति कर सकते है जिसे आपको सूर्योदय के पूर्व स्नान करते समय जाप करना है और ये मन्त्र :

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति।। नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।

प्रात: काल यानी सुबह का वक्त धर्म व विज्ञान दोनों ने ही संयम व अनुशासन से जुड़ी बहुत सी बातों को अपनाकर जीवन में सफलता के हर मकसद को पूरा करने के लिए श्रेष्ठ माना है। पुराणों में लिखा गया है कि श्रीहरि विष्णु के आदेश से सूर्योदय से अगले 6 दंड यानी लगभग ढाई घंटे की शुभ घड़ी तक जल में सारे देवता व तीर्थ वास करते हैं। इसलिए सुबह तीर्थ स्नान से सभी पापों का नाश व उनसे रक्षा भी होती है।

सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है

मुनि स्नान

मुनि स्नान सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है, इससे आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, विध्या, बल, आरोग्य चेतना, प्रदान करता है।

देव स्नान

देव स्नान सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है|आप के जीवन में यश, किर्ती, धन वैभव, सुख, शान्ति, संतोष, प्रदान करता है।

मानव स्नान

मानव स्नान सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है| काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।

राक्षसी स्नान

राक्षसी स्नान सुबह 8 के बाद किया जाता है| दरिद्रता, हानि, कलेश ,धन हानि ,परेशानी, प्रदान करता है।

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