सांता क्लॉज कौन हैं और क्रिसमस डे से वे कैसे जुड़ गए? जानिए

प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रुप में पूरी दुनिया में 25 दिसम्बर को क्रिसमस डे मनाया जाता हैं। लेकिन इस तारीख को यीशु का जन्म नहीं हुआ था। सांता क्लॉज यीशु नहीं हैं, फ़िर क्रिसमस डे से उनका क्या संबंध हैं? जानिए, 25 दिसम्बर को यीशु का जन्म न होने के बावजूद क्रिसमस डे इस दिन क्यों मनाया जाता हैं? सांता क्लॉज यीशु न होने के बावजूद सांता क्लॉज और क्रिसमस एक-दूसरे से कैसे जुड़ गए? क्यों आज ‘क्रिसमस डे’ का नाम लेते ही ‘सांता क्लॉज’ याद आते हैं? कौन हैं सांता क्लॉज और वे बच्चों को उपहार क्यों देते हैं? 


क्रिसमस डे 25 दिसम्बर को क्यों मनाया जाता हैं? ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह यानी जीसस क्रिस्ट को ईश्वर का पुत्र (son of God) मानते हैं। प्रभु ईसा मसीह का जन्म कब हुआ था ये एक रहस्य हैं। बाइबल में उनके जन्म के तारीख की पुष्टि नहीं की गई हैं। लेकिन कई लोगों का मानना हैं कि उनका जन्म 2BC और 7BC के बीच में हुआ था। क्रिसमस डे मनाने की शुरवात चौथी शताब्दी में हुई। इसके पहले ईसाई समुदाय के लोग ईसा मसीह के जन्मदिन को एक त्योहार के रुप में नहीं मनाते थे। सर्दियों के मौसम में जब सूरज की गर्मी कम हो जाती हैं तब गैर ईसाई समुदाय के लोग इस इरादे से पूजा-पाठ करते थे कि सूरज दोबारा लौट आएं और उन्हें गर्मी और रोशनी दे। 25 दिसम्बर को सूर्य के उत्तरायण के दिन को (इस तारीख़ से दिन लंबा होना शुरु होने की वजह से) सूर्य देवता के पुनर्जन्म का दिन माना जाता था। ईसाई चाहते थे कि ईसा मसीह का जन्मदिन भी सूर्य देवता के पुनर्जन्म के दिन मनाया जाए। इसलिए इस त्योहार और इसके रस्मों को ईसाई धर्मगुरुओं ने अपने धर्म से मिला लिया और इसे ईसाईयों का त्योहार (क्रिसमस डे) नाम दिया। ताकि गैर ईसाईयों को अपने धर्म की ओर खींच सके। इस तरह 25 दिसम्बर को यीशु का जन्म न होने के बावजूद इस दिन क्रिसमस डे मनाया जाता हैं। 


सांता क्लॉज कौन हैं और क्रिसमस डे से वे कैसे जुड़ गए? आज से डेढ़ हजार साल पहले जन्मे संत निकोलस को ही असली सांता माना जाता हैं। जबकि संत निकोलस और ईसा मसीह के जन्म का कोई सीधा संबंध नहीं हैं। फ़िर भी पूरी दुनिया में सांता क्लॉज क्रिसमस का एक अहम हिस्सा हैं। सांता क्लॉज के बिना क्रिसमस की कल्पना भी नहीं कर सकते। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नाम के शहर में एक रईस परिवार में हुआ था। बचपन में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। उन्हें लोगों की मदद करना बहुत पसंद था।

ईसा मसीह के जन्मदिन पर वे किसी को दुखी नहीं देख सकते थे। यही वजह हैं कि वो यीशु के जन्मदिन के मौके पर रात के अंधेरे में लोगों को तोहफे के तौर पर ख़ुशियाँ बांटने निकलते थे। इसलिए आज भी बच्चे सांता का इंतजार करते हैं। वो रात के अंधेरे में ही गिफ़्ट दिया करते थे क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी पहचान लोगों के सामने आए। 17 साल की उम्र में ही वे ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) बने और बाद में बिशप बने। उनके बारे में एक दंतकथा प्रचलित हैं कि उन्होंने एक गरीब की मदद की। जिसके पास अपनी तीन बेटियों की शादी करने के लिए पैसे नहीं थे। तब निकोलस ने तीन बार घर की चीमनी से सोने के सिक्कों की धैलियां डाल दी। जब वे तीसरी बार सोने के सिक्कों की थैली डाल रहे थे तब उस व्यक्ति ने उन्हें देख लिया। इसके बाद किसी को भी कोई भी उपहार गुप्त रुप से मिलता तो उसे संत निकोलस द्वारा दिया हुआ माना जाने लगा। ऐसे ही एक बार संत निकोलस ने देखा कि कुछ गरीब बच्चे आग पर सेंक कर अपनी जुराबें सुखा रहे हैं। जब बच्चे सो गए तो संत निकोलस ने उनकी जुराबों में चुपचाप सोने की मोहरे भर दी और चले गए। ज़रूरतमंदों की मदद करने के उनके स्वभाव के कारण माना जाता हैं कि मृत्यु के बाद भी सांता क्लॉज क्रिसमस डे पर बच्चों को उपहार देंगे। इसलिए वेश बदलकर सांता बनने और गरीबों एवं बच्चों को उपहार देने की प्रथा सी बन गई। इस तरह सांताक्लॉज यीशु न होने के बावजूद क्रिसमस से जुड़ गए। डायोक्लेशन नामक अत्याचारी शासक के समय संत निकोलस को मायरा देश से निकाला गया। चौथी शताब्दी में 348 के आसपास 6 दिसंबर को उनकी मृत्यु हो गई थी। 


सांता क्लॉज नाम कैसे पड़ा? उनकी सज्जनता, उदारता, त्याग और दरियादिली के कारण उन्हें बहुत सम्मान दिया जाने लगा। अनेक लोग उनके अनुयायी बन गए। सभी का यह मानना था कि संत निकोलस को ईश्वर ने उन सभी का मार्गदर्शन करने के लिए और सभी की सहायता करने के लिए भेजा हैं। कैथोलिक चर्च ने उन्हें ‘संत’ का ओहदा दिया था। लोगों ने आदरपूर्वक निकोलस को ‘क्लॉज’ कहना शुरु किया। इसलिए उन्हें ‘सेंट क्लॉज’ कहा जाने लगा। ‘सेंट क्लॉज’ का ‘सेंटा क्लॉज’ बन गया। बाद में यहीं नाम ”सांता क्लॉज” बन गया। दूसरी मान्यता के अनुसार सांता क्लॉज नाम निकोलस के डच नाम ‘सिंटर क्लास’ से आया हैं। सांता क्लॉज का हुलिया- आज के सांता क्लॉज़ का रूप ‘थॉमस नास्त’ नामक कार्टुनिस्ट द्वारा बनाए गए संत निकोलस के चित्र पर आधारित है। उस चित्र में कुछ सुधार करके कोका कोला कंपनी ने अपने विज्ञापन में सांता क्लॉज़ को लाल रंग का सफ़ेद फर वाला नर्म कोट और कैप, सफ़ेद दाढ़ी और काले रंग की बेल्ट, काले जूते आदि पहने हुए दर्शाया। तभी से उनका यह नया रुप अस्तित्व में आया। सांता क्लॉज के बारे में रोचक तथ्य- • 6 दिसंबर के उनके मृत्यु के दिन को फ्रांस में सन 1200 से निकोलस दिवस के रुप में मनाया जाता हैं। • 1773 में अमेरिका में पहली बार सांता ‘सेंट ए क्लॉज’ के रुप में मीडिया से रुबरु हुए। • उत्तरी यूरोप में कुछ शताब्दियों तक उन्हें भुला दिया गया। लेकिन इंग्लैंड में और अन्य कई देशों में क्रिसमस पर ‘फादर क्रिसमस’ के नाम से बच्चों को गिफ्ट, मिठाइयाँ आदि देकर खुश किया जाता था। 

• आज भी माना जाता हैं कि सांता अपनी वाइफ और बहुत सारे बौनों के साथ उत्तरी ध्रुव में रहते हैं। वहां पर एक खिलौने की फैक्ट्री है जहां सारे खिलौने बनाए जाते हैं। सांता के ये बौने साल भर इस फैक्ट्री में क्रिसमस के ‍खिलौने बनाने के लिए काम करते हैं। • आज विश्व भर में सांता के कई पते हैं जहां बच्चे अपने खत भेजते हैं, लेकिन उनके फिनलैंड वाले पते पर सबसे ज्यादा खत भेजे जाते हैं। इस पते पर भेजे गए प्रत्येक खत का लोगों को जवाब भी मिलता है। आप भी अपने खत सांता को इस पते पर भेज सकते हैं। सांता का पता हैं, सांता क्लॉज, सांता क्लॉज विलेज, एफआईएन 96930 आर्कटिक सर्कल, फिनलैंड कई स्थानों पर सांता के पोस्टल वॉलेन्टियर रहते हैं जो सांता के नाम आए इन खतों का जवाब देते हैं। देश-विदेश के कई बच्चे सांता को खत की जगह ई-मेल भेजते हैं। जिनका जवाब उन्हें मिलता है और क्रिसमस के दिन उनकी विश पूरी की जाती है। 

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