समय के साथ क्यों आपके आँखों में मोतियाबिंद हो जाता हैं, पढ़े पूरी खबर

आखिर क्या होता हैं मोतियाबिंद ?

बुढ़ापे में आंखों की रोशनी जाने के पीछे ये एक बड़ी वजह है. इसके बारे में जानने से पहले थोड़ा लेंस और आंख के स्ट्रक्चर के बारे में जान लेते हैं. हमारी आंख एक कैमरा की तरह है, जिसमें एक क्लियर लेंस होता है. ये लेंस लाइट की रेज़ को आंख के परदे पर फोकस करने में मदद करता है, जिसकी वजह से हम साफ़-साफ़ देख पाते हैं. ये लेंस पानी और प्रोटीन का बना होता है, इसके फाइबर का स्पेशल अरेंजमेंट होता है जो इसे ट्रांसपैरेंट रहने में मदद करता है. जब लेंस अपनी ट्रांसपैरेंसी खोना शुरू कर देता है तो उसे कैटरैक्ट कहते हैं.

कैटरैक्ट

ये एज रिलेटेड कंडीशन है, जैसे हमारे बाल सफ़ेद होते हैं वैसे ही. उम्र के साथ लेंस में मौजूद प्रोटीन का टूटना शुरू हो जाता है, इससे लेंस के फाइबर का अरेंजमेंट डिस्टर्ब हो जाता है. कभी-कभी पानी की मात्रा भी बढ़ जाती है. इन सब वजहों से लेंस ट्रांसपैरेंसी खो देता है और लाइट की रेज़ पीछे पर्दे तक नहीं पहुंच पातीं. मरीज़ को धुंधला दिखना शुरू हो जाता है.

कुछ लोगों में ये दिक्कत ये समय से पहले भी होने लगती है. इसके पीछे वजहें हैं- सनलाइट एक्सपोज़र, ज़रूरी विटामिन्स की कमी, कैल्शियम की कमी. डायबिटीज़ के मरीज़ों में ये समय से पहले होता है, जो लोग स्मोक करते हैं उन्हें समय से पहले हो सकता है, अगर आंख पर चोट लगती है तो भी समय से पहले हो सकता है. जेनेटिक कारण भी हो सकते हैं.

उपचार

मोतियाबिंद का इलाज अभी तक तो सर्जरी ही है, पर रिसर्च चल रही है कि अगर कोई ड्रॉप या गोली इससे निजात दिला सके. हले के ज़माने में टांके वाली सर्जरी हुआ करती थी, उस सर्जरी के बाद ठीक होने में समय लगता था. रिजल्ट भी इतने अच्छे नहीं होते थे. पर लेटेस्ट टेक्नीक यानी लेज़र से रिजल्ट सही रहते हैं और ठीक होने में ज़्यादा समय नहीं लगता. इसमें इन्फेक्शन के चांस बहुत कम हो जाते हैं. इस सर्जरी में लेज़र से मोतियाबिंद को तोड़कर उसे बाहर निकाल लेते हैं. अंदर फोल्डिंग लेंस डालकर आपकी आंखें ठीक कर सकते हैं.

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