समझदार बकरी की मजेदार कहानी

एक बकरी थी वह एक गांव में रहती थी उस बकरे को एक गरीब घर वाले पाला करते थे और बकरी भी अच्छे से रहने लगी थी आप घरवाले उसे बहुत ज्यादा प्यार करते थे और घरवाले उस बकरे को प्रतिदिन खाना खाने के लिए देते थे और उस बकरे को घर वाले बहुत ज्यादा प्यार करते थे और उस गांव के बगल में एक जंगल था जिसमें उस बकरी को उस घर वाले जंगल में चराने के लिए लेकर जाते थे जिसके कारण बकरी और भी ज्यादा खुश रहती थी इसी तरह करते करते उस गांव में बकरी का दिन इसी तरह से आराम से गुजरने लगा 1 दिन बकरी घर में अकेली पड़ गई और जंगल में घूमने के लिए निकल पड़ी और जंगल में घुस गई और बकरी को घर जाने का रास्ता नहीं मिल रहा था और वह घबरा रही थी और यह सोच कर डर रही थी कि कहीं जंगल में मुझे शेर तो नहीं खा जाएगा।

इस तरह की सोच बकरी को अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। और बकरी इसी तरह चलते चलते जंगल की भीतर फस गई फिर उसे कुछ आवाज सुनाई दी और वह डर के मारे कांपने लगी उसके कुछ देर बाद उसे एक हिरण दिखा हिरण को देखकर बकरी सोचने लगी यह तो मेरे जैसे ही लग रही है भला यह कौन है। इस तरह से बकरी सोचने लगी हिरण के पास जाने की कोशिश कर रही थी उसके बाद हिरण तेजी से दौड़ कर वहां से चली गई फिर बकरी वहीं पर बैठ जाती है और सो जाते हैं तभी बकरी को एक डरावनी आवाज सुनाई देती है और वह इधर-उधर देखने लगती है। इधर-उधर देखने के बाद बकरी ने एक शेर को आते हुए देखा और बकरी बहुत ही ज्यादा डर गई और झाड़ी में छुप गई। तभी शेर बकरी को देखा और खाने के लिए बकरी के पास आ गया उसके बाद फिर वहीं पर खड़े होकर बकरी को देखने लगा और बोला क्या तुम्हें मेरे से डर नहीं लगता फिर बकरी सोच विचार से काम लेती है और बोलती है मैंने तुमसे क्या डरना तुमको भी तो भगवान ने बनाया है और मुझे भी भगवान ने बनाया है फर्क बस इतना है तुम मेरे से बड़ी हो और मैं छोटी हूं।

बकरी की इस बात को सुनकर शेर का ह्रदय नरम हो गया आज शेर और बकरी की दोस्ती हो गई।

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