सऊदी अरब के मक्का में ज़मज़म पानी क्या है? जानिए
मैं मारवाड़ी हूँ। दोहा कतर में रहती हूँ। मेरी ढाई साल की बेटी बहुत ही गम्भीर रूप से बीमार थी। उसकी बहुत अच्छी तरह से दवाई चल रही थीं। पर वो क़रीब एक महीने से भी ज़्यादा समय से बिस्तर पर पस्त पड़ी थी। उसी दौरान मैं कुछ घरेलू सामान लेने पास ही की एक दुकान में गयी। वो दुकानदार मलयाली था और उसने पूछा कि बेटी नहीं आती आपकी अब। तो मैं बस पता नहीं क्यूँ बस रो दी। मैं एक ऐसी माँ थी जो हर आधे घंटे में उसका तापमान चेक करती थी।थक गयी थी, परेशान थी, अपने देश से, माता पिता से दूर थी। उसने मुझे एक छोटी से बोतल में बंद पानी दिया। बोला की ये पानी हज से लेकर आया था वो। उसने कहा कि बच्चे के लिए प्रार्थनआ करके उसको थोड़ा थोड़ा पिला देना।
आस्था अगर गंगाजल में भरोसा रखती है तो जमजम के पानी में भी। मैंने लौट के बेटी को कुछ बूँदे जमजम के पानी की दी। फिर मैं काम में लग गयी। उसका दो दिन के बाद ब्लड टेस्ट होना था। पर शाम के वक़्त उसने धीमी आवाज़ में मुझको पुकारा। वो क़रीब एक महीने से बेसुध थी। फिर शाम से उसकी तबियत इस कदर सुधरनी शुरू हुयी की डाक्टर भी हेरान थे।
वो क़रीब एक हफ़्ते में बोलने चलने खाने पीने लगी। मुझे आज तक समझ नहीं आया कि एक माँ की दुआएँ काम आयीं, दवाई काम आयी, या एक अनजान दुकानदार का दिया किसी दूसरी दुनिया का पानी काम आया। पर हाँ अब जब भी मैं ऐयरपोर्ट पर किसी को जमजम ले जाते देखती हूँ तो श्रद्धा से हाथ ज़रूर जोड़ लेती हूँ। एक दूसरे के धर्म को सच्चे मन से सम्मान देने में ही समझदारी और बड़प्पन है।एक माँ के लिए इससे बढ़के क्या हो सकता है की उसका बच्चा सही हो जाए?
ये मेरी बेटी है।अब क़रीब दस साल हो गए पर आज भी जब मैं इसको जम जम के पानी की बात बताती हूँ ये भी याद करती है की कैसे ये कुछ खा पी नहीं पाती थी। कॉमेंट्स सेक्शन बंद कर रही हूँ क्यूँकि कुछ भारतीय लोग बहु बेटीयो की फोटोस पर भी आके भद्दे कमेंट्स करते हैं।